झारखंड का एक ऐसा गांव जहां के लोग आज भी अपने घर में रहते हैं कैद, जानें कारण
गोड्डा जिला अंतर्गत एक गांव है मतरामचक. इस गांव के लोग सड़क नहीं होने के कारण गांव में खुद को कैद-सा महसूस करते हैं. साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाएं, तो भगवान भरोसे है. ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय नेतागण गांव में आते हैं और आश्वासन का पोटली देकर चले जाते हैं.
Jharkhand News: गोड्डा जिला अंतर्गत दिग्धी पंचायत के मतरामचक के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं का बाट जोह रहे है. आज भी ग्रामीण अपने आप को गांव में कैद सा महसूस कर रहे हैं. ग्रामीणों को गांव से बाहर आने-जाने के लिए सड़क भी नसीब नहीं है. पगडंडी के सहारे ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हैं. गांव में 40 घरों में 250 की आबादी रहती है. जिसमें अधिकांश कुर्मी जाति के लोग हैं. कुछ आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी रहते हैं. इसके बावजूद भी अब तक गांव आने जाने के लिए सड़क तक ग्रामीणों को नसीब नहीं हो पायी है.
गांव तक नहीं पहुंच पाता चार पहिया
ग्रामीण संगीता कुमारी, गायत्री कुमारी, सिंगा देवी, गेंदा देवी, बुधनी देवी, छेदीलाल महतो, बबलू महतो, कैलाश महतो, बबलू महतो, ज्ञानचंद महतो ने बताया कि सड़क के अभाव में काफी कमी महसूस होती है. गांव में चार पहिया वाहन भी नहीं आ पाता है. जिससे की गांव का विकास अधर में लटका पड़ा है. गांव के बच्चे का भविष्य अंधेरे में है. बच्चे का रिश्ता अच्छे घरों में नहीं हो पाती है. गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे चारपाई के सहारे अस्पताल की ओर ले जाना पड़ता है. गांव में एंबुलेंस तक आने की सुविधा नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है की लोग जेल में कैद महसूस कर रहे है.
कच्ची सड़क और पगडंडी ही सहारा
ग्रामीणों ने बताया कि गांव से पूरब दिशा की ओर गडगुलाल गांव है. जहां इस गांव को सड़क से जोड़ा जा सकता है. पश्चिमी दिशा की ओर एक किलोमीटर की दूरी पर देवनचक गांव है, जहां लोग मुख्य सड़क पर पहुंचते है. लेकिन, दोनों ही दिशा में कच्ची ही कच्ची सड़क और पगडंडी है. जिस पर लोग गांव से बाहर निकलते हैं.
Also Read: झारखंड : हुर्रासी परियोजना में 75% स्थानीय को मिले रोजगार, आउटसोर्सिंग कंपनी के खिलाफ गोलबंद हुए ग्रामीणचुनाव के समय नेता आते सिर्फ वोट मांगने
ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय नेता लोग सिर्फ वोट मांगने आते हैं और जितने के बाद दुबारा लौट कर नहीं आते जो हमारी समस्याओं का निदान कर सके. ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में हमलोग काफी गरीब तपके के लोग रहते हैं जो मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं. कहा कि गांव में दो चापाकाल है, लेकिन दोनों अकसर खराब रहता है. खुले कुएं का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं. गांव में जलमीनार तक नहीं लगाया गया है.
बच्चों का भविष्य हो रहा खराब
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के एक-एक बच्चे का भविष्य खराब होते जा रहा है. न तो गांव में स्कूल है और न ही आंगनबाड़ी केंद्र. कुछ गांव के बड़े बच्चे पैदल चलकर एक किलोमीटर की दूरी तय कर देवनचक पढ़ाई करने जाते हैं. इसकी सुध न तो कोई नेता लेने वाला है, न फिर प्रखंड प्रशासन. ग्रामीणों ने बताया कि कई ऐसे परिवार हैं जो पेंशन योजना से भी वंचित हैं.
प्रशासन ने समस्या के समाधान का दिया भरोसा
ग्रामीणों ने गांव में हो रही समस्याओं के निदान की मांग जिला प्रशासन से किया, ताकि भरे बरसात में ग्रामीणों को आवागमन में थोड़ी राहत मिल सके. इस संबंध में उपप्रमुख कुंदन कुमार महतो ने बताया कि ग्रामीणों के समक्ष विकट समस्या है. मामले को पंचायत समिति के बैठक में प्रमुखता से उठाया जाएगा. इधर, बीडीओ राजीव कुमार ने बताया की गांव जाकर ग्रामीणों से बात की जाएगी ताकि समस्या का निदान किया जा सके.
Also Read: झारखंड : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के खाते से करीब 78 लाख रुपये की ठगी मामले में यूपी पुलिस पहुंची गोड्डा