Aarya Review: सुष्मिता सेन की दमदार वापसी, यहां पढ़ें रिव्यू
Aarya web series Review : हॉटस्टार पर रिलीज हुई 10 एपिसोडिक सीरीज से अभिनेत्री सुष्मिता सेन लगभग एक दशक बाद हिंदी दर्शकों से रूबरू हुईं हैं. यह सुष्मिता सेन की डिजिटल डेब्यू भी है.सुष्मिता ने अभिनेत्री के तौर पर क्या खूब वापसी की है.
Aarya web series Review
वेब सीरीज – आर्या
निर्माता – राम माधवानी
निर्देशक – राम माधवानी,संदीप मोदी,विनोद
कलाकार – सुष्मिता सेन, सिकंदर खेर, चंद्रचूड़ सिंह, नमित, फ्लोरा सैनी, विकास कुमार, मनीष चौधरी, अलेक्स और अन्य
रेटिंग : तीन स्टार
हॉटस्टार पर रिलीज हुई 10 एपिसोडिक सीरीज से अभिनेत्री सुष्मिता सेन लगभग एक दशक बाद हिंदी दर्शकों से रूबरू हुईं हैं. यह सुष्मिता सेन की डिजिटल डेब्यू भी है.सुष्मिता ने अभिनेत्री के तौर पर क्या खूब वापसी की है. सीरीज की पूरी कहानी की धुरी वही हैं.इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.
ये है कहानी
सीरीज की कहानी पर आए तो यह पॉपुलर स्पेनिश सीरीज पेनोजा पर आधारित है.हिंदी रूपांतरण में कहानी राजस्थान पर बेस्ड है.एक रॉयल परिवार है.आर्या (सुष्मिता सेन) अपने पति तेज़ सरीन ( चंद्रचूड़ सिंह) और तीन बच्चों के साथ खुश है.परिवार में और भी लोग हैं.उसके परिवार का दवा का बड़ा बिजनेस है.एक दिन तेज़ की हत्या हो जाती है और आर्या को मालूम पड़ता है कि उसके परिवार का दवा नहीं बल्कि ड्रग का बिजनेस है. वह टूट जाती है लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनती है कि अपने परिवार और बच्चों के लिए आर्या को अपने परिवार का वही बिजनेस संभालना पड़ता है.आर्या किस तरह से बिजनेस को संभालती और दुश्मनों पर जीत हासिल करती है.यही शो की आगे की कहानी है. शो की कहानी मालूम होने के बावजूद आगे क्या होगा.यह उत्सुकता बरकरार रहती है.यही इस सीरीज की खूबी है. हर एपिसोड के खत्म होने से पहले एक ट्विस्ट और टर्न कहानी से जुड़ जाता है.
ये हैं खूबियां : हमारी कहानियों में महिला पात्र को ज़्यादातर पूरा सही और पूरा गलत दिखाने का चलन रहा है लेकिन इस क्राइम सीरीज में महिला पात्र गलत और कम गलत के बीच है. थ्रिलर सीरीज में महिला पात्र को सिरमौर बनाना.अच्छी पहल है.यह एक थ्रिलर सीरीज है.बिजनेस की प्रतिद्वंदिता इसके बावजूद सीन्स में जबरदस्ती का खून खराबा नहीं दिखाया गया.संवाद अच्छे बन पड़े हैं. पहले मर्द बिजनेस चलाते थे अब मर्द बचे ही नहीं इसलिए मुझे बिजनेस चलाना पड़ रहा है. कभी कभी बात सही और गलत की नहीं होती है, गलत और कम गलत की होती है. जैसे संवाद कहानी को प्रभावी बनाते हैं. बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमाटोग्राफी भी बहुत अच्छी है. लोकेशन्स के ज़रिए भव्यता को बखूबी दर्शाया गया है। जो कहानी की मांग भी थी.
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यहां मामला चूका : कहानी को 7-8 एपिसोड में भी समेटा जा सकता था. कई सीन्स लंबे खींच गए हैं. एडिटिंग पर थोड़ा काम किया जाता तो बेहतरीन सीरीज बन सकती है. 90 के दशक के एक्टर चंद्रचूड़ ने भी इस सीरीज से वापसी की है लेकिन उन्हें कम ही स्क्रीन स्पेस दिया गया.
अभिनय है खास– अभिनय पक्ष की बात करें तो सुष्मिता सेन को परदे पर देखना सुखद है. बच्चों को संभालने वाली माँ से बिजनेस वुमन बनना किरदार में उनकी मेहनत दिखती है.उन्होंने बखूबी अपने किरदार को जिया है.विकास कुमार की भी अदाकारी अच्छी है.मनीष चौधरी, सिकन्दर खेर,सोहेला कपूर ,एलेक्स भी अपने किरदार में जमे है. नमित दास और चंद्रचूड़ के किरदार में थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी.
कुलमिलाकर सुष्मिता सेन के अभिनय के लिए यह सीरीज देखी जा सकती है.
Posted By: Budhmani Minj