अभिषेक बनर्जी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर, हाइकोर्ट के न्यायाधीश ने की टिप्पणी
कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने अभिषेक बनर्जी द्वारा कोर्ट के खिलाफ की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी के संदर्भ में उनका नाम लिए बिना कहा कि जो लोग न्यायालय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं, उनका सम्मान नहीं किया जा सकता.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी पर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया. भट्टाचार्य ने अदालत में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने तथा उनकी टिप्पणियों पर स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने भट्टाचार्य से तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करने को कहा, जो न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के अदालत कक्ष को बाहर बंद करने तथा दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास के बाहर अपमानजनक पोस्टर चिपकाने को लेकर स्वतः संज्ञान अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है.
अवमानना की याचिका पर जल्द होगी बैठक
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय समाज विरोधी तत्वों को संरक्षण दे रहा है. उन्होंने कहा कि अभिषेक बनर्जी ने राज्य में पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई लोगों की मौत के लिए न्यायपालिका के एक वर्ग को जिम्मेदार ठहराया है. भट्टाचार्य ने दावा किया कि का न्यायपालिका पर इन कथित टिप्पणियों से अदालत की प्रतिष्ठा पर गंभीर असर पड़ा है. उन्होंने मौखिक रूप से खंडपीठ से तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव की टिप्पणियों के पर स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वृहद पीठ दो अन्य न्यायाधीशों के पास समय उपलब्ध होने के अनुसार इस सप्ताह बैठेगी और मामले को इसके समक्ष पेश किया जा सकता है. वृहद पीठ में मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति आइपी मुखर्जी तथा न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास शामिल हैं.
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कोर्ट पर आपत्तिजनक टिप्पणी करनेवालों का हम सम्मान नहीं करते
कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी द्वारा कोर्ट के खिलाफ की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी के संदर्भ में उनका नाम लिए बिना कहा कि जो लोग न्यायालय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं, उनका सम्मान नहीं किया जा सकता. हम उनका सम्मान नहीं करते.
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