Pakur News: पाकुड़ प्रखंड के बागशीशा गांव में तीन अलग-अलग तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर फर्जी तरीके से सरकारी राशि निकासी मामले की जांच अब एंटी करप्शन ब्यूरो टीम कर रही है. दरअसल, योजनाओं की अनियमितता मामले की जांच के लिए मंगलवार को एसीबी टीम ने बागशीशा गांव पहुंचकर ग्रामीणों एवं मजदूरों से आवश्यक जानकारी ली. मिली जानकारी के अनुसार एसीबी दुमका के केस नंबर 12/2018 मामले में इंस्पेक्टर रामचन्द्र रजक ने योजनाओं से संबधित मजदूरों से मजदूरी भुगतान सहित अन्य पूछताछ की.
बताते चलें कि बागशीशा गांव में तीन अलग-अलग तालाब जीर्णोद्धार में फर्जी निकासी मामले में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल पाकुड़ के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बीते 6 नवंबर 2017 को हिरणपुर थाना में कांड संख्या 93/17 के तहत मामला दर्ज कराया है. इस मामले में विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सह योजना अभिकर्ता असर्फी साहू, तत्कालीन सहायक अभियंता अविनाश कुमार सिन्हा, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मो निशारुल हक, योजना मेट सह सदस्य निगरानी समिति रामरतन साहा एवं तत्कालीन पोस्टमास्टर हिरणपुर के विद्यापति मंडल पर धारा 409, 420, 120(बी) आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था. वहीं इस मामले को एसीबी को सौंपा गया है.
Also Read: केंद्र सरकार करेगी देर तो आपके नेतृत्व में ही चलेंगे दिल्ली, 1932 मुद्दे पर CM हेमंत ने राज्यपाल से कहा
उप विकास आयुक्त पाकुड़ के पत्रांक-640/ मनरेगा दिनांक 2/11/2017 के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15 में हिरणपुर के बागशीशा पंचायत में मनरेगा के तहत स्वीकृत तीन योजनाओं की जांच के दौरान अनियमितता मिली थी. इसमें योजना संख्या 3/2014-15 के तहत कृष्णा मड़ैया की जमीन पर तालाब जीर्णोद्धार के लिए प्राक्कलित राशि 6 लाख 22 हजार 532 रुपये, योजना संख्या 4/2014-15 में देवेंद्र साहा की जमीन पर तालाब जीर्णोद्धार के लिए प्राक्कलित राशि 7 लाख 83 हजार 920 रुपये तथा योजना संख्या 5/2014-15 में बलदेव साहा की जमीन पर तालाब जीर्णोद्धार के लिए प्राक्कलित 6 लाख 22 हजार 532 रुपये के तहत जालसाजी कर पूर्व में जमीन पर कराये गये तालाब योजना के जीर्णोद्धार कार्य के तीन साल पूरा नहीं होने के बाद भी योजना की स्वीकृति करा कर लाखों रुपये की फर्जी निकासी कर ली गयी है.
ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल पाकुड़ द्वारा वर्ष 2009-10 में हिरणपुर प्रखंड के बागशीशा पंचायत में कृष्णा मड़ैया की जमीन पर 4 लाख 94 हजार 300 रुपये की राशि से योजना संख्या 85/2009-10 में, देवेंद्र साहा की जमीन पर 4 लाख 94 हजार 300 रुपये की राशि से योजना संख्या 86/2009-10 व बलदेव साहा की जमीन पर प्राक्कलित राशि 8 लाख 2 हजार रुपये की लागत से योजना संख्या 84/2009-10 के तहत तालाब जीर्णोद्धार कराया गया था. इसमें उपरोक्त विभाग की ओर से 90 प्रतिशत कार्य पूरा दिखाते हुए राशि की निकासी कर ली गयी थी. इन सभी योजनाओं में विभागीय कनीय अभियंता अशर्फी साहू को अभिकर्ता बनाया गया था. वहीं काम कराने के बाद भी मजदूरों को भुगतान नहीं किया गया था. बावजूद उपरोक्त लाभुकों की जमीन पर ही मनरेगा योजना के तहत फिर से तीन साल के भीतर ही जालसाजी कर सरकारी नियमों को ताक पर रख कर पुन: योजना तैयार कर लाखों की फर्जी निकासी कर ली गयी है.
एसीबी इंस्पेक्टर रामचन्द्र रजक ने बताया कि योजनाओं से संबंधित दर्ज मामले की बारीकी से जांच की जा रही है. इसके लिए ग्रामीण मजदूर सहित योजना मेट से आवश्यक पूछताछ की गयी.