फिल्मों और सीरियलों की शूटिंग शुरू होने के गाइडलाइन में मेकअप मैन के लिए चुनौतियां बढ़ने वाली हैं. उन्हें पीपीई किट पहनकर मेकअप करना. डिस्पोजल किट में मेकअप को मिक्स करना. इन सब मुद्दों पर इंडस्ट्री में 35 साल से सक्रिय मेकअप मैन किशोर सावंत ने बात की. किशोर सावंत रेखा, उर्मिला मातोंडकर, प्रीति जिंटा जैसी अभिनेत्रियों के मेकअप मैन रह चुके हैं. हाल के वर्षों में वह टेलीविज़न इंडस्ट्री में बतौर मेकअप ज़्यादा सक्रिय हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
नयी मेकअप की जो गाइड लाइन हैं उस पर आपका क्या कहना है ?
जो नियम होंगे वो मानने पड़ेंगे. सभी की सुरक्षा का सवाल है. वैसे जब तक शूटिंग शुरू नहीं होती है तब तक असल चुनौतियां समझ नहीं आएंगी. पेपर पर लिखने और असल में उसपर प्रैक्टिस करने में बहुत फर्क होता है.
आप किन एक्टर्स के मेकअप मैन रह चुके हैं ?
रेखा, प्रीति जिंटा, उर्मिला मारतोंडकर, ग्रेसी सिंह, मधु, नगमा का मैं मेकअप मैन रह चुका हूं. अभी जो सीरियल्स आते हैं. खासकर मायथोलॉजिकल सीरियल महाभारत, सूर्यपुत्र कर्ण, महाकाली जैसे शोज का मैं मेकअप मैन रहा हूं. स्वास्तिक प्रोडक्शन के सीरियल विशेषकर.
टीवी और फिल्मों की शूटिंग में आप क्या अलग पाते हैं ?
सबसे पहले तो पेमेंट बहुत अलग होता है. सीरियल में जितना मेहनताना एक मेकअपमैन को दिया जाना चाहिए. उतना मिलता नहीं है. सीरियल में आर्टिस्ट खुद अपने मेकअप का पेमेंट करता है. फिल्मों का अलग सिस्टम है. वहां प्रोडक्शन हाउस से सीधे तौर पर पेमेंट मिल जाता है.
क्या पहले सेट्स पर एक आर्टिस्ट दूसरे आर्टिस्ट का मेकअप ब्रश इस्तेमाल करता है ?
सीरियलों में ऐसा होता है. एक मेकअप ब्रश का इस्तेमाल दूसरे के लिए भी कर लिया जाता है लेकिन अच्छे से धुले हो तो ही. मेकअप ब्रश को धोने के लिए लिक्विड आता है. आमतौर पर मेकअप मैन के पास तीन से चार ब्रश होता ही है. जिसका वह इस्तेमाल अलग अलग आर्टिस्टों के लिए करता है. जहां तक मेकअप स्पॉन्ज की बात है तो वो अच्छी तरह से धुले हुए होते हैं तो ही इस्तेमाल किये जाते हैं.
ऐसी भी बातें सामने आ रही हैं कि आर्टिस्ट खुद अपना मेकअप करे तो अच्छा रहेगा ?
खुद के फेश की उनको जानकारी होती है कि उनके लिए क्या सही है लेकिन फिर भी स्क्रीन पर मेकअप के लिए मेकअप मैन ही सही होता है. आप किसी पार्टी के लिए अपना मेकअप खुद कर सकते हैं लेकिन स्क्रीन पर मुश्किल होता है. फिल्में और टीवी विजुवल मीडियम है.हमें ये बात समझनी होगी.
रेखा के साथ आपके अनुभव कैसे रहे हैं ?
मेरे पिता रामचंद्र सावंत रेखाजी के मेकअप मैन उनकी फिल्म सावन भादो से थे. उनकी मौत के बाद फिर मैं रेखाजी का मेकअप मैन बना. उनके साथ चार से पांच साल तक मैंने लगातार काम किया. काम के मामले में वो बहुत ही प्रोफेशनली हैं.वक़्त को लेकर बहुत पाबंद रही हैं. टाइम पर आना है. टाइम पर जाना है जाना है. काम के मामले में कभी कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया. मुझे अभी भी याद है. उदयपुर में फूल बने अंगारे के क्लाइमेक्स वाले सीन में जिसमें रेखाजी सीन करते हुए रनिंग घोड़े से गिर गयी थी. देखकर लगा कि अब पैकअप हो जाएगा लेकिन रेखाजी ने आधे घंटे का रेस्ट लिया और फिर से शूट शुरू करवायी. वह रेखाजी ही कर सकती थी.
हर एक्ट्रेस की अपनी स्टाइल होती है रेखा मेकअप के वक़्त किस बातों पर विशेष ध्यान देती थी ?
वे अपने लिप्स के मेकअप पर सबसे अधिक ध्यान देती थी. लिप्स्टिक के कलर्स को लेकर बहुत ज़्यादा फोकस. दूसरा फोकस वह अपने आईजब्रो पर करती थी.आमतौर पर ऑयब्रोज फिल करते हैं. वो ऐसा नहीं करती थी स्ट्रोक्स बनवाती थी.
ऐसी भी बातें सामने आती है कि इंडस्ट्री में गोरे रंग को लेकर लोगों की सोच बहुत हावी है. क्या एक्ट्रेसेज को मेकअप के ज़रिए गोरा दिखाने का दबाव होता है ?
ये सोच फिल्मों से ज़्यादा सीरियल वालों में होती है कि गोरा दिखना है. सीरियलों में एक सीरियल में आमतौर पर दो हीरोइन्स होती ही हैं जो एक दूसरे के आमने सामने शो में खड़ी होती तो ऑफ स्क्रीन भी कॉम्पिटिशन भी होता है कि मुझे इस एक्ट्रेस से ज़्यादा गोरा दिखना है.ज़्यादा सुंदर दिखना है तो हमें उनको गोरा दिखाना होता है.
फिल्मों में भी दो अभिनेत्रियों के बीच कॉम्पिटिशन की बातें आती रहती हैं आपके साथ का कोई वाकया जो आप शेयर करना चाहेंगे ?
हां, दो एक्ट्रेसेज साथ में एक फ़िल्म में होती हैं तो कॉम्पिटिशन थोड़ा बहुत ही सही लेकिन होता ही है. ऐसे में हेयर, मेकअप और कॉस्ट्यूम वाले पर प्रेशर आ ही जाता है. महिमा चौधरी और प्रीति जिंटा की साथ में फ़िल्म आयी थी दिल है तुम्हारा. उस वक़्त हमें भी ऐसे प्रेशर से गुजरना पड़ा था. प्रीति जिंटा मुझे बोलती थी अरे देखो महिमा ने ऐसा मेकअप किया है. ऐसा बाल बनाया है. फिर हमें उससे अच्छा बनाने का दबाव होता अगले दिन होता था.कभी हमारा अच्छा होता था तो महिमा अपने स्टाफ को सुनाती थी कि प्रीति से अच्छा उसे हेयर और मेकअप चाहिए.
लॉकडाउन के पीरियड में इंडस्ट्री का कितना सपोर्ट रहा ?
लॉकडाउन में टेक्नीशियन्स को ऐसा तो कोई खास सपोर्ट नहीं मिला. फिल्मों में स्टार्स के साथ घंटों टेक्नीशियन्स ही काम करते हैं लेकिन उनकी किसी ने सुध नहीं ली है. मैं इंडस्ट्री में 35 सालों से हूं तो इतना कमा चुका हूं कि लॉकडाउन में खुद को और अपने परिवार को संभाल सकूं. हां लाइटमैन और स्पोर्टबॉयज की हालत खराब है. मेरी जानकारी में जो है।वो मैं बता रहा हूं.सलमान खान ने थोड़ा बहुत किया था.तीन तीन हज़ार टेक्नीशियन्स को दिए थे लेकिन ऐसी मदद सभी को करनी चाहिए थी.
Posted By: Budhmani Minj