‘बुलबुल’ फिल्‍म में काम करने के बाद अभिनेत्री तृप्ति डिमरी ने सीखी ये बात, खुद किया खुलासा

actress tripti dimri bulbul : नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘बुलबुल' में मुख्य किरदार निभाने वाली तृप्ति डिमरी का कहना है कि इस फिल्म में काम करने के बाद उन्होंने खुद को प्रेम करना सीख लिया है. फिल्म में उनके अभिनय को खासा पसंद किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2020 4:05 PM

Actress Tripti Dimri, Bulbul : नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘बुलबुल’ में मुख्य किरदार निभाने वाली तृप्ति डिमरी का कहना है कि इस फिल्म में काम करने के बाद उन्होंने खुद को प्रेम करना सीख लिया है. फिल्म में उनके अभिनय को खासा पसंद किया जा रहा है. उन्नीसवीं सदी के बंगाल की पृष्ठभूमित में गढ़ी गई इस फिल्म की कहानी लोगों में चुड़ैल के डर के बीच पितृसत्तात्मक समाज की शिकार महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है.

तृप्ति कहती हैं कि शुरुआत में छोटी बुलबुल के किरदार को देखकर उन्हें घुटन हो रही थी क्योंकि वो हमेशा खुद को नजरअंदाज कर दूसरों को खुश करने वाली रही हैं. उन्होंने जूम कॉल पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मेरा किरदार हमेशा दूसरों के बार में सोचता है और यह वही चीज है जो मैं अपने बारे में बदलना चाहती हूं.’

उन्‍होंने आगे कहा,’ मैं हमेशा दूसरों को खुश करने की कोशिश में लगी रहती थी, हमेशा मुस्कुराती रहती थी. उन्होंने कहा कि यही बात मेरे एक्टिंग कोच अतुल मोंगिया ने भी देखी और मुझे टोकते हुए कहा कि तुम इतना मुस्कुरा क्यों रही हो, तुम्हें मुझे खुश करने की जरुरत नहीं है. उस दिन से मुझे एहसास हो गया कि दूसरों को महत्व देने से ज्यादा जरुरी खुद से प्रेम करना है.

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‘बुलबुल’ में अपने अभिनय के लिए दर्शकों से खासी सराहना बटोर रही तृप्ति मूलत: उत्तराखंड से हैं. ‘लैला मजनू’ और ‘पोस्टर बॉयज’ में काम कर चुकी तृप्ती कहती हैं, “किसी किरदार को अच्छे से समझे बिना कि वह कैसे चलती है, बात करती है या सोचती है, आप उससे न्याय नहीं कर पाएंगे. मेरे लिए दूसरी बुलबुल के किरदार में खुद को ढालना मुश्किल था क्योंकि वह बहुत शांत, सहज और अपने आप में ही ‘संपूर्ण’ थी” उन्होंने कहा कि अन्विता दत्त बुलबुल के किरदार ‘संपूर्ण’ शब्द से ही समझाती थी.

फिल्म की पटकथा लेखिका अन्विता दत्त ने कहा कि यह फिल्म तृप्ति के बिना बनाना संभव नहीं था. मैंने इसकी पटकथा सालों पहले लिख रखी थी. बंगाली के साथ-साथ हिंदी फिल्मों में भी अपनी अभिनय की छाप छोड़ने वाली पाओली दाम इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार में हैं. वह बुलबुल की देवरानी बिनोदिनी के किरदार में हैं जो हमें रविंद्रनाथ टैगोर की कहानी ‘चोखेरबाली’ की नायिका की याद दिलाती है. उम्र में बड़ी होने के बाद भी बिनोदिनी अपनी उम्र से कहीं बड़े ठाकुर(राहुल बोस) से ब्याह दी गई छोटी चुलबुली बुलबुल को प्रतिद्वंदी मानती है.

पाओली कहती हैं कि शुरु में बिनोदिनी बड़ी बहू (बुलबुल) से घर की सत्ता हथियाने के लिए षडयंत्र रचने वाली किसी चालाक स्त्री की तरह लगेगी लेकिन उसके जीवन में झांकने से पता चलता है कि उसका किरदार पहुत जटिल और गहरा है. उन्होंने कहा, “मुझे पहले समझ नहीं आ रहा था कि इस किरदार को कैसे निभाऊं क्यों कि कागजों पर वह एक सीधी कहानी की तरह थी. बाद में मुझे लगा कि यह फिल्म का एक मार्मिक चरित्र है. बचपन में उसे जो बताया गया उसने बिना सवाल किए मान लिया और कभी अपनी सीमा रेखा पार नहीं की.” फिल्म की निर्माता अनुष्का शर्मा हैं.

Posted By : Budhmani Minj

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