पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की सरकार बनी, तो हर श्रमिक के खाते में 5700 रुपये, अधीर रंजन चौधरी का वादा
पश्चिम बंगाल (West Bengal Election 2021) में यदि कांग्रेस (INC) की सरकार बनी, तो राज्य के हर श्रमिक के खाते में सरकार 5,700 रुपये भेजने की व्यवस्था करेगी. बंगाल प्रदेश कांग्रेस (Cogress) के अध्यक्ष और पार्टी के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने यह वादा किया है.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में यदि कांग्रेस की सरकार बनी, तो राज्य के हर श्रमिक के खाते में सरकार 5,700 रुपये भेजने की व्यवस्था करेगी. बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पार्टी के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह वादा किया है.
उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रदेश में लौटे श्रमिकों के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाया. कहा कि उनकी पार्टी अगर सत्ता में आती है, तो प्रत्येक गरीब के खाते में सीधे नकदी का हस्तांतरण किया जायेगा.
श्री चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने, लॉकडाउन एवं लॉकडाउन के बाद प्रवासी श्रमिकों के पास नकदी का अभाव नहीं हो, इसके लिए उनके खाते में सीधे नकदी हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया था और केंद्र सरकार ने इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये की परियोजना की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी वादे के रूप में प्रत्येक गरीब व्यक्ति को नकद देने की वकालत की थी. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह कोई खोखला वादा नहीं था. छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रत्येक गरीब की जेब में 5700 रुपये देने की व्यवस्था की है.’
उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में अगर हम निर्वाचित होते हैं, तो हमलोग यह सुनिश्चित करेंगे के छत्तीसगढ़ की यह योजना पश्चिम बंगाल में भी लागू हो.
तृणमूल सरकार की वजह से नहीं मिला प्रवासी श्रमिकों को केंद्र की योजना का लाभ: अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की सरकार के कारण प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को अब तक केंद्र की परियोजना का लाभ नहीं मिल सका है, क्योंकि राज्य सरकार ने प्रदेश के 25 हजार प्रवासी श्रमिकों की सूची केंद्र को नहीं भेजी है.
प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर ममता की चिंता पर उठाये सवाल: लॉकडाउन के बाद राज्य छोड़ चुके प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘दीदी (ममता) कम से कम उनके बारे में सोचें. लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट का सामना करने के बाद वे अपने गृह राज्य लौट आये हैं और उन्हें नौकरी के अवसर मिलने के बाद एक बार फिर से राज्य छोड़ना पड़ा है.’
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अपने परिवार को बाहर से पैसे भेजने वाले प्रवासी श्रमिकों के प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान को रेखांकित करते हुए श्री चौधरी ने कहा, ‘लेकिन, उनके बारे में सोचने के लिए आपके (ममता) के पास समय नहीं है.’
Posted By : Mithilesh Jha