पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कालीघाट के पास एक नदी बहती है, जो अब नाला बन गयी है. इसे आदि गंगा के नाम से जाना जाता है. इसका पानी काफी गंदा हो गया है. कोलकाता नगर निगम के अनुसार, वर्ष 1989-90 में अंतिम बार आदि गंगा की ड्रेजिंग हुई थी. अब यह गाद और कचरा से भर गयी है. इसे एक बार फिर पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है. 200 साल पहले आदि गंगा हुगली नदी की सहायक धारा थी. फिलहाल गंगा की यह धारा कोलकाता में बढ़ती आबादी और बढ़ते शहरीकरण के स्वाभाविक नतीजों का शिकार हुई और यह घरों के सीवेज ढोती हुई नाले में बदल गयी है. नमामि गंगे योजना के तहत अब इसकी ड्रेजिंग करायी जायेगी. साथ ही इसे हुगली नदी से भी जोड़ने की योजना है. केंद्र सरकार ने 600 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. ड्रेजिंग का कार्य अगले दो वर्ष में पूरा होगा. गरिया से कालीघाट स्थित 15 किलोमीटर लंबी इस नदी की ड्रेजिंग के लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जायेगा.
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निगम के एक अधिकारी ने बताया कि 600 करोड़ आदि गंगा की ड्रेजिंग पर खर्च होगा. इसके अलावा अगले 15 साल तक आदि गंगा की साफ-सफाई पर और 400 करोड़ खर्च किये जायेंगे. नमामि गंगे योजना के तहत यह कार्य किया जायेगा, ताकि आदि गंगा को बचाया जा सकेगे.
निगम के सीवरेज व ड्रेनेज विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले ज्वार के समय हुगली नदी का पानी आदि गंगा में काफी मात्रा में आता था. अपने साथ काफी गाद भी लाता था. नतीजतन, आदि गंगा गाद से भरती गयी. इसका तल ऊंचा होता गया. शहर बड़ा हुआ तो कोलकाता नगर निगम के नाले बेरोकटोक इसमें गिरते रहे. निगम के पास ज्वार और भाटे के वक्त इस नाले में आने वाले पानी को नियंत्रित करने के लिए कोई तंत्र नहीं था. इसी वजह से आज यह नले में बदल चुकी है. अब इसे हुगली नदी से जोड़ने की योजना बनायी गयी है.
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इस पर करीब 151 करोड़ खर्च होंगे. इस योजना के तहत तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किये जायेंगे. बांसद्रोणी, ब्रिजी मेट्रो स्टेशन और गोल्फग्रीन के सुखापुकुर में निकट एक-एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया जायेगा. ताकि आदि गंगा में पानी छोड़े जाने से पहले कचरा अलग किया जा सकते. आदि गंगा के लिए अलग से ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन भी बनेगा. इस योजना डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर निगम ने फंड के लिए राज्य के शहरी विकास और केंद्रीय आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा है.
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रिपोर्ट : शिव कुमार राउत कोलकाता