पश्चिम चंपारण के सिकटा पंचायत में सुअरों के लगातार मरने के कारणों का खुलासा हो गया है. यहां के लगातार मर रहे सूअरों की मौत अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई है. यह वायरल बीमारी है, जो सिर्फ सुअरों में ही होती है. इसकी पुष्टि भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) के निदेशक ने किया है. सिकटा के धांगड़टोली में मरे सुअर के डेडबॉडी से निकाले गये नमूने के जांच के बाद हुआ है.
जांच रिपोर्ट आने के बाद बुधवार को रोग उद्भेदन स्थल के एक किलोमीटर परिधि के क्षेत्र को इंफेक्टेड जोन घोषित कर दिया गया है. इसे अफ्रीकन स्वाइन फीवर के नियंत्रण को लेकर भारत सरकार द्वारा निर्गत नेशनल एक्शन प्लान फॉर कंट्रोल ने निर्देश के आलोक में किया गया है. बताया गया है कि एक किलोमीटर के रेडियस के सभी सूअरों को कूलिंग करना आवश्यक है.
सूअर के प्रयुक्त होने वाले खाद्यान्नों को नष्ट करने का भी निर्देश दिया गया है. इस जगहों के सेनिट्राइजेशन आवश्यक बताया गया है. एक से दस किलोमीटर के परिधि में आने वाले ग्रामों सहित क्षेत्रों को चिन्हित कर सर्विलांस पर लिया जायेगा. दस किलोमीटर के रेडियस में बाहरी सूअर के आने पर प्रतिबंध रहेगा. इसके लिए अलग अलग टीम गठित की गई है.
एक किलोमीटर के परिधि में सुअरों की संख्या का आकलन होगा. इसके लिए एक टीम गठित की गई है. जिसमें जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह व बीडीओ मीरा शर्मा, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार शर्मा, पशुधन सहायक साठी के विनोदानंद झा, नरकटियागंज के अनुसेवक हेनरी कुलस को शामिल किया गया है.
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टीम आपस में समन्वय बनाकर सभी सुरक्षात्मक प्रबन्ध, बायोसिक्योरिटी मानकों का पालन कर सुअर पालकों में जागरूकता, बीमारी का प्रचार प्रसार करेंगे. ताकि वे सब भी सचेत हो जाये. बताते चले कि इतना होने के बाद भी शिवमंदिर रोड स्थित दुदानी वस्त्रालय के पीछे सुवरो का जमावड़ा लगा हुआ है. स्थानीय प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं है. लेकिन यहां रहनेवाले लोगों के मन में भय व्याप्त है