डंडई : झारखंड में एक रिटायर्ड टीचर को मृत बताकर उसकी पेंशन बंद कर दी गयी. सात महीने पहले इस रिटायर्ड टीचर प्रयाग तांती ने अपने जीवित होने के सबूत दिये. फिर भी उनकी पेंशन अब तक शुरू नहीं हो पायी है. मामला गढ़व जिला के डंडई प्रखंड का है.
प्रखंड के जरही गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक प्रयाग तांती को विभाग ने मृत बताकर एक साल पहले उनकी पेंशन बंद कर दी. इसके बाद से वह शिक्षा विभाग व बैंक के चक्कर काट रहे हैं. प्रयाग तांती ने बताया कि नियुक्ति के बाद वर्ष 1964 में डंडई प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय महुडंड में योगदान दिया था.
विभाग ने कुछ वर्ष बाद उनका भवनाथपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय तोरेलावा ट्रांसफर कर दिया. उस विद्यालय में लगभग 12 वर्ष सेवा देने के बाद वर्ष 2002 में वह रिटायर हुए. विभाग ने 20 जनवरी, 2020 से उन्हें मृत बताकर उनकी पेंशन का भुगतान बंद कर दिया.
प्रयाग तांती कहते हैं कि आज वृद्धावस्था में पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. अपनी व्यथा बताते हुए प्रयाग तांती भावुक हो जाते हैं. कहते हैं कि मेरे ही मूल वेतन से काटा गया पैसा सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के रूप में मिलता है. उसे देने में भी अधिकारी और कर्मचारी इस तरह की लापरवाही करते हैं.
अपने ही पैसे के लिए हमें परेशान होना पड़ता है. मुझे मृत बता कर मेरा पेंशन बंद कर दिया गया. जीवन गुजारना मुश्किल हो गया है. मेरा एक पुत्र सचिंद्र प्रसाद है, जो बेरोजगार है. इस उम्र में कई तरह की बीमारियां है. इलाज कराने के पैसे नहीं हैं. डॉक्टर को दिखा भी लें, तो दवाई कहां से लायेंगे.
उन्होंने बताया कि पेंशन की राशि भारतीय स्टेट बैंक के पिपरा कला ब्रांच से मिलती थी. पेंशन बंद हो जाने के बाद बैंक गया था, तो बैंक के अधिकारियों ने बताया कि आपको विभाग ने मृत घोषित कर दिया है. आपको अपना सभी कागजात को फिर से बैंक व विभाग में जमा करा दीजिए.
उन्होंने बताया कि बैंक के अधिकारियों के कहने पर उन्होंने अपने जीवित होने के सारे सबूत शिक्षा विभाग व बैंक में जमा करा दिये. तमाम दस्तावेज जमा किये आज लगभग सात महीने हो गये, लेकिन आज तक मेरी पेंशन चालू नहीं हुई. इससे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
Posted By : Mithilesh Jha