जवान फिल्म रिलीज होने के बाद सुर्खियों में आए डॉक्टर कफील खान, ऑक्सीजन कांड में बने थे आरोपी
10 अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से इंसेफेलाइटिस बीमारी से पीड़ित 57 बच्चों की मौत हो गई थी. ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौत जैसी ही कहानी फिल्म "जवान" में दिखाई गई है.
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में हुए ऑक्सीजन कांड के आरोपी डॉक्टर कफील खान एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. शाहरुख खान की फिल्म “जवान” ने ऑक्सीजन कांड की फिर याद दिला दी है. 10 अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से इंसेफेलाइटिस बीमारी से पीड़ित 57 बच्चों की मौत हो गई थी. ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौत जैसी ही कहानी फिल्म “जवान” में दिखाई गई है.
गोरखपुर अस्पताल त्रासदी किताब हुई है प्रकाशित
“जवान” फिल्म की कहानी गोरखपुर ऑक्सीजन कांड के आरोपी डॉक्टर कफिल खान की लिखी किताब “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी” जैसी ही हैं. हालांकि इस फिल्म में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का कहीं भी कोई जिक्र नहीं हैं.”जवान” फिल्म में इंसेफेलाइटिस वार्ड की इंचार्ज डॉक्टर इरम खान है. वह अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने पर ऑक्सीजन की डिमांड करती है. बावजूद इसके अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होती है. इस फिल्म में डॉक्टर कफील खान की जगह डॉक्टर इरम खान को दिखाया गया है.
मिलती जुलती है फिल्म की कहानी
फिल्म में डॉक्टर इरम ने मासूम के स्वजन को एंबू बैग दिया और ऑक्सीजन पंप करना बताया. और वह खुद ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में जुड़ गई. लेकिन तब तक काफी देर हो जाती है और 57 इंसेफेलाइटिस बीमारी से जूझ रहे बच्चों की मौत हो जाती है. जब यह मामला मीडिया ने आगे बढ़ा दिया तो सारा आरोप डॉक्टर इरम खान पर लगा दिया कि उन्होंने बच्चों का गलत इलाज कर दिया है. जिससे उनकी मौत हुई है. ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई है. इसके बाद से डॉक्टर इरम खान का मेडिकल रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर दिया जाता है और उन्हें बच्चों की मौत के मामले में जेल जाना पड़ता है.
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फिल्म में महिला डॉक्टर बनी है आरोपी
यह फिल्म डॉक्टर कफिल खान की लिखी हुई किताब की कहानी से मिलती-जुलती है. हालांकि इस फिल्म के आखिरी में कहानी कुछ अलग है. लंबे संघर्षों के बाद हेल्थ मिनिस्टर ने खुद टीवी पर लाइव आकर अपना गुनाह कबूल किया है. उन्होंने बताया है मासूम की मौत की जिम्मेदार वह खुद और मेडिकल सिस्टम है. बच्चों की मौत में डॉक्टर इरम खान की कोई गलती नहीं है. इस फिल्म में डॉक्टर इरम खान को दोस्त मुक्त करार दिया जाता है.
डॉ. कफील ने सुनाई आपबीती
डॉक्टर कफील खान की किताब “गोरखपुर अस्पताल त्रासदी” का नई दिल्ली में विमोचन हुआ था. किताब में डॉक्टर ने एक दर्दनाक चिकित्सा संकट का जिक्र किया है.अपनी किताब में उन्होंने लिखा है कि किस तरह एक डॉक्टर इतनी बड़ी त्रासदी से जूझता है. उन्होंने अपने ऊपर सभी आरोपी को खारिज किया है. अपनी किताब में उन्होंने सरकारी तंत्र पर सवाल भी खड़ा किए हैं और गोरखपुर ऑक्सीजन कांड का पूरा लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन के लिए बकाया 68 लाख रुपए का भुगतान नहीं करने के कारण मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई तक की गई. लेकिन सरकार ने अपनी गलतियों को छिपाते हुए पूरा आरोप मेरे ऊपर मढ दिया.
शाहरूख से डॉक्टर कफील की नहीं हुई बात
प्रभात खबर से बात करते हुए डॉक्टर कफील खान ने बताया कि इस फिल्म के डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर और एक्टर शाहरुख खान से मेरी कोई बात अभी तक नही हुई है और ना ही मैंने इस फिल्म को अभी तक देखा है. इस फिल्म की रिलीज होने के बाद बहुत लोगों का फोन मेरे पास आया है.कई लोगों ने तो छोटी-छोटी क्लिप भी हमको भेजी है. उन्होंने बताया कि इस फिल्म की स्टोरी वैसे ही है जैसा मेरे साथ हुआ है फर्क इतना है की फिल्म हेल्थ सेक्रेट्री ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और इसके बाद डॉक्टर इरम खान को इंसाफ मिल गया. लेकिन रियल लाइफ में मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ है मैं आज भी इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा हूं.
छह भाषाओं में प्रकाशित हुई है गोरखपुर अस्पताल त्रासदी
डॉक्टर कफील खान ने बताया कि मैं गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड पर एक किताब लिखी है. जो गोरखपुर अस्पताल त्रासदी के नाम से है यह किताब हिंदी और इंग्लिश सहित 6 भाषाओं में देश और विदेशी तक जा रही है.उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि मेरे किताब से ही इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी गई हो.
रिपोर्ट: कुमार प्रदीप, गोरखपुर