Agra News: ताजनगरी के राजा मंडी स्टेशन पर स्थित चामुंडा देवी मंदिर का मामला गर्माता जा रहा है. हिंदू संगठनों ने आज प्रेस वार्ता कर रेलवे को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने मंदिर पर किसी भी तरह की कार्रवाई की तो वह सामूहिक रूप से ट्रेन के नीचे आकर अपनी जान दे देंगे. आपको बता दें आगरा के राजा मंडी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर चामुंडा देवी मंदिर स्थित है. यह मंदिर करीब ढाई सौ से 300 साल पुराना बताया जाता है. रेलवे ने 12 अप्रैल को मंदिर को हटाने के लिए एक नोटिस चस्पा किया था और 10 दिन का समय दिया था.
रेलवे के नोटिस चस्पा करने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसी मामले को लेकर गुरुवार को हिंदू कल्याण महासभा, हिंदू जागरण मंच और राष्ट्रीय हिंदू परिषद व जनसत्ता दल द्वारा संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता की गई. जिसमें उन्होंने कहा कि अगर रेलवे ने चामुंडा देवी मंदिर को हटाने का प्रयास किया तो इसका भीषण अंजाम उन्हें भुगतना होगा. और सामूहिक रूप में हिंदू संगठन के कार्यकर्ता ट्रेन के नीचे आकर अपनी जान दे देंगे. उनका कहना था कि मंदिर रेलवे लाइन बिछने से पहले ही बना हुआ है. अब अचानक से रेलवे इस मंदिर को हटाने का दबाव बना रहा है तो रेलवे यह सही नहीं कर रहा है. रेलवे द्वारा देश भर के तमाम स्टेशनों पर बनी मजारों को आज तक नहीं हटाया गया है. लेकिन हिंदू विरोधी मानसिकता के चलते डीआरएम मंदिर को हटाने पर अड़े हुए हैं.
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प्रेस वार्ता में बताया कि डीआरएम को नोटिस देने से पहले मंदिर के महंत के साथ बैठकर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए था. लेकिन जिस तरह से उन्होंने नोटिस चस्पा कर मंदिर को हटाने का आदेश दिया है वह पूर्ण रूप से गलत है. ऐसे में हिंदू संगठन रेलवे के मनमाने रवैये को बिल्कुल भी नहीं झेलेंगे. और अगर रेलवे ने मंदिर को हटाने के लिए कोई भी कदम उठाया तो सभी पदाधिकारी उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.
प्रेस वार्ता के बाद मंदिर के महंत विश्वेश्वरा नंद महाराज के साथ तमाम हिंदू संगठन के कार्यकर्ता राजा मंडी स्टेशन पर पहुंचे. जहां पर उन्होंने डीआरएम के विरोध में जमकर नारेबाजी की. वहीं इस प्रेस वार्ता में डॉक्टर भूपेंद्र सिंह भगोर, गोविंद पाराशर, मनोज अग्रवाल, शरद चौहान आदि लोग उपस्थित रहे.
आपको बता दें मंदिर पर नोटिस चस्पा करने के बाद डीआरएम ने मंदिर ना हटने की स्थिति में स्टेशन बंद करने का वीट किया था. और मंदिर के कारण यात्रियों को होने वाली दिक्कतों और उनकी सुरक्षा का हवाला दिया था. चामुंडा देवी मंदिर के महंत ने कहा कि मंदिर बनने के बाद जब अंग्रेजों ने यहां पर पहली लाइन बिछाने की शुरुआत की, तो उसे सीधा ले जाने के लिए वह मंदिर को हटाने की कोशिश में लगे थे. लेकिन तमाम प्रयास करने के बावजूद भी अंग्रेज अधिकारी मंदिर को नहीं तोड़ सके. और आखिर में उन्हें यहां रेल की पटरी को वक्राकार करना पड़ा. इससे पहले भी रेलवे ने कई बार मंदिर को हटाने का प्रयास किया है लेकिन वह अपने प्रयासों में कामयाब नहीं हो पाया.