Agra News: कस्टडी में युवक की मौत मामला, अधिकारियों को मिली डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी
राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता ने हालत में आग में घी का काम किया. वाल्मीकि समाज के सैकड़ों लोग थाने और पोस्टमार्टम गृह पर जमा हो गए थे. आलाधिकारी को जब लगा कि हालात बेकाबू हो सकते हैं तो उन्होंने उन पुलिस अधिकारियों को बुला लिया, जो पूर्व में आगरा में तैनात रहे हैं.
Agra News: पुलिस कस्टडी में युवक की मौत मामले में गैर जनपद के पुलिस अधिकारियों को भी डैमेज कंट्रोल में लगाया गया है. हालात बेकाबू होते देख आला अधिकारियों ने उन अफसरों को आगरा बुलवाने में कतई देर नहीं लगाई, जो यहां पूर्व में तैनात रहे हैं. 17 अक्टूबर को आगरा के थाना जगदीशपुरा के मालखाने से 25 लाख रुपयों की चोरी हुई थी.
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इस मामले में पुलिस ने चोरी के आरोपी अरुण को हिरासत में ले लिया था. पुलिस कस्टडी में युवक अरुण की मौत के बाद आगरा में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति काफी बिगड़ गई थी. राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता ने हालत में आग में घी का काम किया. वाल्मीकि समाज के सैकड़ों लोग थाने और पोस्टमार्टम गृह पर जमा हो गए थे. आलाधिकारी को जब लगा कि हालात बेकाबू हो सकते हैं तो उन्होंने उन पुलिस अधिकारियों को बुला लिया, जो पूर्व में आगरा में तैनात रहे हैं.
लॉ एंड ऑर्डर संभालने के लिए कासगंज के एसपी रोहन पी बोत्रे को बुलवा लिया. जानकारों के मुताबिक आगरा मंडल के इतिहास का पहला मामला था, जब किसी गैर जिले में तैनात पुलिस अधिकारी को वर्तमान अधिकारियों के रहते हुए बुलाया गया था. पोस्टमार्टम गृह से लेकर जगदीशपुरा थाना और मृतक अरुण के घर तक गैर जनपद के पुलिस अधिकारियों की सक्रियता दिखाई पड़ी. बात इतने पर ही नहीं रूकी, जो पुलिस इंस्पेक्टर, आगरा में तैनात रहे थे, उन्हें भी बुलवा लिया गया.
अजय कौशल, कमलेश कुमार जैसे पुलिस इंस्पेक्टर्स आगरा बुलाए गए थे. जाहिर सी बात है कि आगरा में आए वर्तमान अधिकारियों को भले ही छह महीने से ऊपर हो चुके हों, मगर आगरा की पृष्ठभूमि से वो अभी जुड़ नहीं सके हैं. इधर पुलिस हिरासत में युवक की मौत से हुए डैमेज कंट्रोल को संभालने में दिन भर पुलिस अधिकारियों को मशक्कत करनी पड़ी.
(रिपोर्ट: मनीष गुप्ता, आगरा)