आगरा पुलिस न करती ये काम तो 15 लाख भारतीयों के खाते से निकल जाते हजारों करोड़ , जानें क्या करने वाले थे ठग

आगरा पुलिस ने 15 लाख भारतीयों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने की साजिश का पर्दाफाश कर दिया. पुलिस ने खुद यूजर बनकर ठगी के इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है.

By Upcontributor | September 21, 2023 11:07 PM

आगरा. आगरा पुलिस ने 15 लाख भारतीयों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने की साजिश का पर्दाफाश कर दिया है. इसमें पुलिस ने खुद यूजर बनकर सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया. पुलिस ऐसा नहीं करती तो हम आपके बैंक खाते से भी पैसा निकल जाता.

जालसाजों ने ऐसे बनाई ठगने के लिए रणनीति

बता दे क्रिकेट विश्व कप 5 अक्टूबर से शुरू होने वाला है. ऐसे में जालसाजों ने भी हजारों करोड रुपए ठगने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली थी. महीना भर पहले ऑनलाइन गेमिंग, बैटिंग वेबसाइट और ऐप लॉन्च कर दिए और इन सभी से यूजर्स को जोड़ा जा रहा था. देश के करीब 15 लाख लोग इनके टारगेट पर थे और यह लोग भारतीयों से 38000 करोड रुपए ठगने की तैयारी कर रहे थे. और इस रकम को साइबर ठग क्रिप्टोकरंसी में बदलकर विदेश ट्रांसफर करने की जुगत में थे. लेकिन 7 महीने पहले आगरा में दर्ज हुई एक एफआईआर में इंटरनेशनल ठगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया.

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27 गेमिंग बैटिंग वेबसाइट और 7 ऐप को ब्लॉक

प्राप्त जानकारी के अनुसार आगरा साइबर टीम में 27 गेमिंग बैटिंग वेबसाइट और 7 ऐप को ब्लॉक कर दिया. पुलिस अधिकारियों की माने तो चीन, रूस, वियतनाम और फिलिपींस में बैठे अपराधी ओटीटी प्लेटफॉर्म का डाटा चुरा कर लोगों से फर्जी ऐप पर बैटिंग करवा रहे थे.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना गई आगरा की टीम

आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह के अनुसार साइबर सेल और आगरा पुलिस इस फर्जीवाड़ी की तह जाने के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना गई. यहां से तीन लोगों को पकड़ा गया. उन से पूछताछ की गई जिसमें पूरे सिंडिकेट के बारे में जानकारी मिली. जिसमें पता चला कि यह पूरा खेल चीन, हांगकांग, थाइलैंड, वियतनाम और कंबोडिया से चलाया जा रहा है. चीन और हांगकांग में बैठे वेबसाइट और एप डेवलपर अपनी असली पहचान को छुपा कर अवैध रूप से स्पोर्ट बेस्ड एप और वेबसाइट चलाते हैं.

गिरोह के विदेश से जुड़े हैं तार

विदेश में बैठ कर यह सब ऑपरेट करने वाले मुखियो की असलियत सामने ना आए इसके लिए उन्होंने पुख्ता इंतजाम किए हैं. थर्ड पार्टी ऐप को किसी ऐसे देश की होस्ट सर्वर पर चलाते हैं जिस पर भारत का कंट्रोल नहीं होता. इन वेबसाइट पर यह क्रिकेट मैच की रिस्ट्रीमिंग करते हैं. यह लोग फ्री या बहुत ही कम सब्सक्रिप्शन रेट पर लाइव मैच दिखाने के नाम पर लोगों को अपने एप्स पर जोड़ते हैं. जब लोग इनके अप या वेबसाइट पर आते हैं तो यह उन्हें सट्टेबाजी का विकल्प देते हैं. ट्रांजैक्शन के लिए यह लोग अपने वास्तविक बैंक अकाउंट का प्रयोग नहीं करते. बल्कि लोगों के खाते खुलवाकर उसका इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए बाकायदा वह खाते खुलवाकर उन्हें किराए पर लेते हैं और इसके लिए इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सएप पर ऐड देते हैं. इसमें घर बैठे रुपए कमाने का प्रलोभन दिया जाता है. बैंक खाता खोलने व खुलवाने पर 5 से ₹10000 दिए जाते हैं.

बस खाता खुलवाने पर ₹10000 देने का वादा

यह पूरी प्रक्रिया मल्टीमीडिया मार्केटिंग की तरह चलती है. लोगों को लगता है कि बस खाता खुलवाने पर ₹10000 मिल रहे हैं. ऐसे में वह अपने परिचित और रिश्तेदारों के खाते खुलवाते रहते हैं. खाते खुलवाने का पूरा प्रोसेस भी ऑनलाइन ही होता है. इसमें कई बड़े निजी बैंकों में खाते खुलवाए गए. खाते खुलवाने पर इंडिया में काम कर रहे एजेंट को ट्रांजैक्शन की 30% रकम दी जाती है बाकी की 70% रकम विदेश चली जाती है.

5 दिन में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन का देते थे लालच

आगरा की साइबर सेल ने बताया कि आम इंसान लालच में खाता खुलवा लेता है. उसे पता भी नहीं होता कि 5 से 6 दिन में उसके खाते में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन होने वाला है. जो लोग उनकी वेबसाइट पर बैटिंग करते हैं उन्हें यह इन खातों का यूपीआई कोड या स्कैनर दे देते हैं. इससे रकम सीधे खाते में जाती है. एक दिन में 4 से 5 करोड रुपए का ट्रांजैक्शन होता है. यह लोग एक खाते को चार से पांच दिन यूज करते हैं. इसके बाद यह उस खाते से रकम निकालकर दूसरे खाते का इस्तेमाल करने लगते हैं.

अवैध गेमिंग, बैटिंग वेबसाइट से कर रहे ठगी

साइबर टीम ने जानकारी देते हुए बताया कि अवैध गेमिंग व बैटिंग वेबसाइट द्वारा लोगों को शुरुआत में फंसने के लिए मुनाफा कराया जाता है. इनकी शुरुआत जून में हुए विश्व कप क्वालीफाई मैचों से हुई थी. इन मैच में बैटिंग करने वाले को यकीन दिलाया गया कि यह तो बहुत आसान है और वह आसानी से मोटी रकम जीत सकता है. जिससे कि वह आने वाले मैच में मोटी रकम लगाई. जांच में टीम को यह भी जानकारी मिली की एक व्यक्ति 70 लाख रुपए इस मामले में गाव चुका था. साइबरसेल ने पूरे खेल को समझने के लिए इन बैटिंग वेबसाइट का सब्सक्रिप्शन लिया और फिर धीरे-धीरे पूरे खेल से पर्दा उठता चला गया.

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