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जिन विषयों की मान्यता नहीं आगरा यूनिवर्सिटी ने उनमें लिया एडमीशन, डिग्री भी दे दी, जानें मामला, किस पर हुई FIR

इस मामले में थाना हरीपर्वत में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव, रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष और वित्त अधिकारी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

By अनुज शर्मा | April 27, 2023 2:13 AM

आगरा. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव, रसायन विभाग खंदारी कैंपस के विभागाध्यक्ष और वित्त अधिकारी आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.1990 में रासायनिक विभाग में पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल केमेस्ट्री का पाठ्यक्रम पूर्ण कर चुकी छात्रा नीलम चौधरी ने थाना हरी पर्वत में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है. विश्वविद्यालय ने इसी कोर्स में करीब 90 विद्यार्थियों का एडमिशन लिया था और छात्रा नीलम चौधरी ने इस कोर्स के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए सूचना के अधिकार का सहारा लिया था. आरटीआइ में खुलासा हुआ कि विश्वविद्यालय द्वारा जो कोर्स 1989 से 91 में चलाया गया था उसकी मान्यता ही नहीं थी. इसके बाद भी विवि ने छात्र-छात्राओं को अंकतालिका और डिग्री प्रदान कर दी.

उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने बताया पूरा सच

प्राप्त जानकारी के अनुसार छात्रा ने 1990 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग से एक वर्ष का पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल केमेस्ट्री का पाठ्यक्रम पूर्ण किया था. वहीं उसे बताया गया था कि विश्वविद्यालय द्वारा कराया गया डिप्लोमा मान्यता प्राप्त है. छात्रा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत कोर्स के बारे में जानकारी मांगी गई तो उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा जानकारी मिली कि जिन 90 छात्र-छात्राओं का कोर्स के लिए प्रवेश लिया गया था उस कोर्स को विश्वविद्यालय में मान्यता ही प्राप्त नहीं है.

17 फरवरी 2022 को एसएसपी को भेजी शिकायत

इसके बाद छात्रा द्वारा 17 फरवरी 2022 को आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और थाना हरीपर्वत को डाक द्वारा शिकायत दी गई. न्यायालय ने 21 फरवरी 2022 को थाना हरीपर्वत से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. थाना हरी पर्वत और सहायक पुलिस अधीक्षक हरी पर्वत द्वारा अंकतालिका व डिप्लोमा के पंजीकरण आदि के संबंध में तत्कालीन कुलसचिव डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन उनके द्वारा पुलिस को कोई भी जवाब नहीं दिया गया. पुलिस ने न्यायालय में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी. इस पर कोर्ट ने एफआइआर के आदेश जारी कर दिए. 24 अप्रैल 2023 को केस दर्ज हो गया.

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