अहोई अष्टमी में करें इस कुंड में स्नान, संतान प्राप्ति की कामना होगी पूरी
Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को सोमवार के दिन रखा जाएगा. मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन यदि ऐसे दंपति राधा कुंड में स्नान करें, तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. राधा कुंड मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता है.
Ahoi Ashtami Vrat 2022: इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को सोमवार के दिन रखा जाएगा. जो लोग नि:संतान हैं और एक यशस्वी संतान की कामना रखते हैं, उनके लिए ये दिन बहुत खास है. पंचांग के अनुसार, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। मान्यता है कि इस योग में संतान की दीर्घायु के लिए रखा गया व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आइए आपको बताते हैं इस व्रत से जुड़ी मान्यताएं, महत्व और पूजाविधि व शुभ मुहूर्त।
अहोई अष्टमी पर विशेष संयोग
अभिजीत मुहूर्त: 17 अक्तूबर, सोमवार, दोपहर 12:00 से 12: 47 मिनट तक
शिव योग प्रारंभ: 17 अक्तूबर, सोमवार प्रातःकाल से सायं 04: 02 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग आरंभ: 17 अक्तूबर, सोमवार, प्रातः 05:11 मिनट से
सर्वार्थ सिद्धि योग समाप्त:18 अक्तूबर, सोमवार,प्रातः 06 :32 मिनट तक
मान्यता है इस योग में पूजा करने से दोगुना लाभ प्राप्त होता है.
अहोई अष्टमी 2022 तिथि
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 17 अक्टूबर 2022, सोमवार, प्रातः 09:29 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त – 18 अक्टूबर 2022, मंगलवार प्रातः 11:57 बजे तक
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 17 अक्तूबर, सोमवार, सायं 05:50 बजे से सायं 07:05 बजे तक,
कुल अवधि: 01 घंटा 15 मिनट
तारों को देखने का समय: सायं 06:13 बजे
अहोई अष्टमी में करें इस कुंड में स्नान
मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन यदि ऐसे दंपति राधा कुंड में स्नान करें, तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. राधा कुंड मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता है. हर साल अहोई अष्टमी के दिन यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है.
राधा कुंड मथुरा नगरी से करीब 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान पड़ता हैं. मान्यता है कि इस रात्रि में अगर पति और पत्नी संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस राधा कुंड में डुबकी लगाएं और अहोई अष्टमी का निर्जल व्रत रखें, तो उनके घर में जल्द ही किलकारियां गूंजती हैं इसके अलावा जिन दंपति को यहां स्नान के बाद संतान प्राप्ति हो जाती हैं वे भी इस दिन अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में हाजरी लगाने आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं माना जाता हैं कि राधा कुंड में अहोई अष्टमी के दिन स्नान की ये परंपरा द्वापरयुग से चली आ रही हैं.
अहोई अष्टमी के दिन ही हुई थी राधाकुंड की स्थापना
माना जाता है कि राधाकुंड की स्थापना द्वापरयुग में अहोई अष्टमी के दिन ही हुई थी. भगवान श्रीकृष्ण ने इस कुंड में रात करीब 12 बजे स्नान किया था इसलिए आज भी यहां अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि में ही विशेष स्नान होता हैं हर साल देश विदेश से आए लाखों भक्त यहां कुंड के तट पर स्थित अहोई माता के मंदिर में पूजा करते हैं और आरती कर कुंड में दीपदान करते हैं.
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