अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के दो सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी ने रविवार को सभी 20 नामांकन पत्रों को जांच के बाद वैध पाया. ये 20 नामांकन पत्र अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के पदों के लिए दो-दो उम्मीदवारों और कार्यकारी समिति के सदस्यों के लिए 14 उम्मीदवारों से संबंधित हैं. निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने कहा, ‘अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और कार्यकारी समिति के सदस्यों के नामांकन पत्रों की जांच के बाद सभी 20 नामांकन पत्र वैध पाए गए हैं.’
एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक कोषाध्यक्ष और 14 कार्यकारिणी सदस्यों के पदों के लिए चुनाव होना है. छह पूर्व खिलाड़ियों (चार पुरुष और दो महिलाओं) को बाद में मतदान अधिकार के साथ कार्यकारी समिति के सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा. उम्मीदवार मंगलवार दोपहर एक बजे से पहले अपना नामांकन वापस ले सकते हैं. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के शीर्ष तीन पदों पर दो उम्मीदवारों के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल सकती. अध्यक्ष पद की दौड़ में पूर्व गोलकीपर कल्याण चौबे के खिलाफ पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया की उम्मीदवारी है. निर्वाचन अधिकारी पहले ही राज्य संघों के 34 प्रतिनिधियों का निर्वाचक मंडल तैयार कर चुके हैं.
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राजस्थान संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता मानवेंद्र सिंह ने एकमात्र उपाध्यक्ष पद के लिए एनए हैरिस के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए शनिवार नामांकन भरा. हैरिस कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और राज्य के मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं. मानवेंद्र के राज्य संघ ने भूटिया की उम्मीदवारी का समर्थन किया था. अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर भूटिया का नाम प्रस्तावित करने वाले आंध्र प्रदेश राज्य संघ के अध्यक्ष गोपालकृष्ण कोसाराजू ने शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय के खिलाफ कोषाध्यक्ष पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए एक पत्र लिखा था.
सूत्रों ने हालांकि कहा कि उन्होंने नाम वापस लेने के लिए कोई फॉर्म नहीं भरा था और इसलिए उनकी उम्मीदवारी अभी भी बनी हुई है. यह ज्ञात नहीं है कि वह मंगलवार की समय सीमा से पहले नामांकन वापस लेंगे या नहीं. उन्होंने गुरुवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. इसी दिन भूटिया और चौबे ने भी अपनी उम्मीदवारी पेश की थी. कार्यकारी समिति के सदस्यों की समान संख्या के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने से सभी 14 उम्मीदवारों के निर्विरोध चुने जाने की संभावना है. इसमें जी पी पालगुना, अविजित पॉल, पी अनिलकुमार, वलंका नताशा अलेमाओ, मालोजी राजे छत्रपति, मेनला एथेनपा, मोहन लाल, आरिफ अली, के नेइबोउ सेखोज, लालनघिंग्लोवा हमार, दीपक शर्मा, विजय बाली और सैयद इम्तियाज हुसैन शामिल हैं.
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के एआईएफएफ का कामकाज संभालने के दौरान होने वाले चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करने वाले फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. सूत्रों के मुताबिक चौबे के नेतृत्व वाले समूह के चुनाव जीतने पर प्रभाकरन एआईएफएफ के महासचिव बन सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय ने भारत में महिला अंडर -17 विश्व कप की मेजबानी को बचाने के लिए 22 अगस्त को एक फैसले में सीओए को हटा दिया था और 36 पूर्व खिलाड़ियों को निर्वाचक मंडल में शामिल करने की अनुमति नहीं दी तथा चुनाव को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था. खेल की वैश्विक संचालन संस्था फीफा के एआईएफएफ को निलंबित करने से महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी खतरे में पड़ गई थी. फीफा ने हालांकि शुक्रवार को प्रतिबंध हटा लिया जिससे भारत में इस टूर्नामेंट की मेजबानी करने का रास्ता साफ हो गया.