गोरखपुर एम्स में अब एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा से भी होगा इलाज, इस तरह की जाएगी रिसर्च

गोरखपुर एम्स में तीन पद्धतियों से इलाज शुरू करने की पहल की जा रही है. इससे मरीजों के सामने न सिर्फ इलाज के लिए विकल्प मौजूद होगा, बल्कि यहां की जाने रिसर्च के नतीजे भी मेडिकल सांइस के लिए फायदेमंद साबित होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | July 11, 2023 12:38 PM
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Gorakhpur: गोरखपुर एम्स में एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा से भी उपचार किया जाएगा. इसके साथ ही यहां इस बात पर रिसर्च होगी कि एलोपैथिक के साथ-साथ आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा कितना लाभप्रद है. इसके लिए एक रोग से पीड़ित रोगियों को तीन समूहों में विभाजित कर उन पर प्रयोग किया जाएगा. हर समूह में 10 –10 रोगी रखे जाएंगे.

गोरखपुर एम्स प्रबंधन के मुताबिक पहले समूह पर केवल एलोपैथिक, दूसरे समूह पर आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा और तीसरी समूह पर तीनों पद्धतियों का एक साथ प्रयोग किया जाएगा. इस कार्य को शुरू करने के लिए रोगियों को चिह्नित करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. पहले चरण में गठिया रोगियों पर यह प्रयोग किया जाएगा. अगर प्रयोग सफल रहा तो दूसरे चरण में न्यूरो से संबंधित रोगियों पर इसका असर देखा जाएगा.

इस मामले में एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने बताया कि एम्स में आयुर्वेद विधि से उपचार शुरू किया गया है और प्राकृतिक चिकित्सा को भी जोड़ा गया है. यह जानने की कोशिश की जाएगी कि तीनों पद्धतियों का एक साथ प्रयोग रोगों को दूर करने में कितना कारगर साबित होता है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में एलोपैथी–आयुर्वेद, एलोपैथी–प्राकृतिक चिकित्सा और एलोपैथी के साथ अन्य चिकित्सा पद्धति का प्रयोग भी किया जाएगा.

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गोरखपुर एम्स में एलोपैथी पद्धति से इलाज पहले से ही चल रहा है और अब आयुर्वेद से भी उपचार शुरू हो गया है. इसके साथ ही गोरखपुर एम्स में पंचकर्म की स्थापना हो रही है. शुरुआत में एलोपैथी के साथ आयुर्वेद को पंचकर्म से जोड़ा जाएगा. साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा में एक्यूप्रेशर का ओपीडी संचालित किया जा रहा है.

देश में तीनों पद्धतियों से इलाज पहले से ही होता रहा है. लेकिन, अब गोरखपुर एम्स में तीनों पद्धतियों को सम्मिलित कर रोगियों का उपचार कर देखा जाएगा कि उन पर इसका कितना असर हो रहा है. रोगियों पर सही प्रभाव पड़ने पर भविष्य में उपचार की नई पद्धति विकसित हो सकती है इससे रोगियों को काफी लाभ मिल सकता है.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर

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