20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Air Pollution : सिवान में होने लगा हवा की गुणवत्ता में सुधार, लेकिन खतरा अब भी बरकरार

प्रदूषण में हल्का सुधार होने पर लोग टहलने के लिए सुबह दिखाई दिए. संचार तकनीकी के विकसित होने के चलते लोगों को प्रदूषण में सुधार की सूचना एंड्राइड मोबाइल पर ही मिल जा रही है. सोमवार की सुबह स्वास्थ्य लाभ लेने वालों की गतिविधि देखी गयी.

सीवान. वायु प्रदूषण से जूझ रहे जीरादेई परिक्षेत्र को करीब चार सप्ताह बाद जहरीली हवा से कुछ हद तक राहत मिली है. वहीं वायु गुणवत्ता अब भी खराब श्रेणी में बनी हुई है. विगत एक माह से जीरादेई में वायु प्रदूषण के मामले में एक नया रिकॉर्ड दर्ज कर रहा था. दिन व दिन क्षेत्र का एक्यूआइ बढ़ रहा था. इधर रविवार से वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. अब भी खतरा बरकरार है. अब भी वायु गुणवत्ता सूचकांक दो सौ के पार है. शनिवार को जीरादेई के विजयीपुर मोड़ का एक्यूआई 342 व रविवार को 317 था. वहीं सोमवार को 273 दर्ज किया गया.

वायु गुणवत्ता में सुधार से लोगों ने राहत की सांस ली है. लेकिन अब भी वायु की स्थिति चिंतनीय है. पर्यावरण विशेषज्ञों की माने तो हवा की रफ्तार में तेजी व पुआल जलाने की घटना में कमी के चलते वायु प्रदूषण की स्थिति में आमूल चूल सुधार हो रहा है. सोमवार की दोपहर हवा का रफ्तार 10 किमी/ घंटा था. जो अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक था. अब हवा की गुणवत्ता में सुधार के आसार बन रहे है.

प्रदूषण में सुधार होते ही सुबह की सैर पर निकले लोग

प्रदूषण में हल्का सुधार होने पर लोग टहलने के लिए सुबह दिखाई दिए. संचार तकनीकी के विकसित होने के चलते लोगों को प्रदूषण में सुधार की सूचना एंड्राइड मोबाइल पर ही मिल जा रही है. सोमवार की सुबह स्वास्थ्य लाभ लेने वालों की गतिविधि देखी गयी. इसके पहले लोग अपने घरों में ही दुबके रहते थे. मालूम हो कि कि हर साल सर्दी के साथ-साथ हवा में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता है. लेकिन इस साल क्षेत्र की हवा ज्यादा प्रदूषित हो गयी थी. लोगों को दूषित हवा के कारण आंखों में जलन और गले में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.

पुआल जलाने की घटना में आयी कमी

हाल के दिनों में पुआल जलाने की घटनाओं में कमी देखी गयी है. अक्तूबर व नवंबर में धान की फसल तैयार हो जाती है. विशेषकर इन्हीं दो महीनों में किसानों द्वारा पुआल जलायी जाती है. पुआल के धुएं से पर्यावरण प्रदूषित होता है. वहीं नवंबर व दिसंबर में रबी फसल की बोआई हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि समीपवर्ती राज्य यूपी में नवंबर में पुआल तेजी से जलायी जाती है. नवंबर में धीमी गति से पछुआ हवा बहती है. जिससे क्षेत्र की हवा जहरीली हो गयी है. हवा की रफ्तार में तेजी व पुआल के नहीं जलने से हवा की स्थिति में सुधार हो रहा है. पराली का धुआं कम होने और हवा चलने से प्रदूषण का स्तर लगातार कम हो रहा है.

क्या होता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) एक नंबर होता है. इसके जरिए वैज्ञानिक विधि से हवा की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है. साथ ही इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है. एक्यूआई संबंधित इलाके में मिलने वाले प्रदूषण के कारकों के आधार पर अलग-अलग होता है. राष्ट्रीय स्तर पर मिनिस्ट्री आफ एनवायरमेंट फारेस्ट व क्लाइमेंट चेंज ने यह व्यवस्था लागू की है. इसके लिए विशेष प्रयोगशाला लांच की गई है. इसे एक संख्या, एक रंग व एक विवरण के आधार पर लांच किया गया है. प्रदूषण की गंभीरता को समझाने के लिए रंगों को भी शामिल किया गया है.

Also Read: जहरीली हुई बिहार की हवा: बाहर से आने वाली हवा-मिट्टी बढ़ा रही प्रदूषण, धुएं से भी अधिक धूल से परेशानी
एक्यूआइ का स्तर कितना है खतरनाक

  • 01 से 50 – बेहतर

  • 51 से 100- संतोषजनक

  • 101 से 200 – संतुलित

  • 201 से 300 – खराब

  • 301 से 400- बहुत खराब

  • 401 से 500- गंभीर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें