Aja Ekadashi 2022: अजा एकादशी व्रत कर रहे तो पढ़ें ये व्रत कथा, जानें इस दिन का महत्व, नियम, शुभ मुहूर्त
Aja Ekadashi 2022: अजा एकादशी 23 अगस्त, मंगलवार को है. अजा एकादशी का व्रत कर रहे भक्तों को विधि विधान के साथ पूजा करने के अलावा इस व्रत की कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए. जानें अजा एकादशी का व्रत कथा और नियम.
Aja Ekadashi 2022: अजा एकादशी व्रत 23 अगस्त, मंगलवार को है. अजा एकादशी (Aja Ekadashi) भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं. जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत सच्ची श्रद्धा और विधि विधान के साथ करता है उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. हालांकि एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक हो जाता है. इस व्रत में विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि अजा एकादशी की कथा व्रत सुनने-पढ़ने से अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है. जानें इस व्रत का महत्व, अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha) और एकादशी व्रत नियम.
अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)
एक राज्य में हरिश्चन्द्र नाम के राजा थे. अपने राज्य को राजा बहुत प्रसन्न रखते थे. राज्य में खुशहाली थी. कुछ समय बाद राजा की शादी हुई. राजा का एक पुत्र हुआ, लेकिन दिन बदलने लगे. राजा के पिछले जन्मों के कर्म उनके आगे आने लगे, जिसके फल के रूप में राजा को दुख भोगना पड़ रहा था. राजा के राज्य पर दूसरे राज्य के राजा ने कब्जा कर लिया. राजा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए. अपनी दो वक्त की रोटी के लिए राजा ने एक चांडाल के पास काम करना शुरू किया. वह मृतकों के शवों को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करता था. अपने जीवन से बहुत दुखी राजा को समझ आया कि वो जरूर अपने कर्मों के फल की वजह से ही इस दशा में हैं कि रोटी को भी मोहताज हो गए.
अजा एकादशी व्रत नियम (Aja Ekadashi Vrat Niyam)
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अजा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए
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अजा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए
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व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए.
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एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए.
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इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए.
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एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए.
अजा एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi Shubh Muhurat)
अजा एकादशी मंगलवार, अगस्त 23, 2022 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 22, 2022 को 03:35 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – अगस्त 23, 2022 को 06:06 ए एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 24 अगस्त को 05:55 ए एम से 08:30 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:30 ए एम
अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)
एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए थे. वहां लकड़ियां लेकर घूम रहे थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं. राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं. आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं. मुझ पर दया कर बताइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं. ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो. यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है. कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा. उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा.
राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया. व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिल गया, इसके बाद उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को पधार गये.
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अजा एकादशी पूजा विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi)
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इस दिन व्रती को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए.
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भगवान विष्णु की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करना चाहिए.
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भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.
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पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए.
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प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए.
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पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए.
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अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद जया एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.