आकाशदीप सिंह भारत के सबसे बेहतरीन स्ट्राइकर हैं. उस्ताद ग्राहम रीड की रणनीति के मुताबिक, आकाशदीप सिंह अब यहां चल रहे एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में लिंकमैन के रूप में खेल रहे हैं. मिजाज से बेहद शांत आकाशदीप (28 वर्ष) मैदान पर बहुत चतुराई से शमशेर सिंह व आक्रामक सेंटर हाफ हार्दिक सिंह के साथ मिलकर भारत के लिए गोल करने के अभियान बनाने की अगुआई कर रहे हैं. आकाशदीप ने इंग्लैंड के खिलाफ गोलरहित बराबर रहे पूल डी के मैच में खुद गोल के अभियान बनाने के साथ डी में पहुंच कई खतरनाक शॉट जमाए, लेकिन गोलरक्षक ओलिवर पेन की मुस्तैदी के चलते गोल नहीं कर पाए थे. आकाशदीप से टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतने वाली भारतीय टीम में आखिरी वक्त पर जगह न पाने और मौजूदा विश्व कप में भूमिका और शुरू के दो मैचों के बाद आगे के सफर जैसे सवालों पर प्रस्तुत है खास बातचीत.
सवाल: टोक्यो ओलंपिक के लिए जगह न पाने और वहां भारत के कांसा जीतने के बाद खुद को टीम में वापसी के लिए कैसे तैयार किया?
जवाब: मैं इस बात से इनकार नहीं करूंगा कि मेरे लिए लंबे समय तक भारतीय टीम में रहने और आखिरी वक्त पर टोक्यो ओलंपिक के लिए उसमें जगह न पाने के बाद खुद को समझाना बेहद मुश्किल रहा. मुझे जब ओलंपिक के लिए टीम में जगह नहीं मिली, तब भी मैंने और मेरे परिवार ने टीम के वहां कामयाब होने की दुआ की. भारतीय टीम ने जब टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीता तो मैं और मेरा पूरा परिवार बेहद खुश था. मैंने टीम को इस कामयाबी के लिए बधाई संदेश भेजा. मैंने ओलंपिक के लिए टीम में न चुने जाने पर चीफ कोच ग्राहम रीड से निजी तौर पर यह पूछा था कि वह मुझसे क्या उम्मीद करते हैं और क्या सुधार की आस करते हैं. रीड ने मुझे फिट रहने और अपनी ऑफ द बॉल रनिंग बेहतर करने की ताकीद की थी. मैंने उसके बाद मेहनत की और खुद को समझाया कि भगवान जो करता है, संभवत: अच्छे के लिए करता है. मैंने भगवान गुरु महाराज पर भरोसा कायम रखा. मैंने खुद को समझाया कि कौन जाने से ओलंपिक के लिए मुझे टीम में चुन लिया भी जाता है चोट लग जाती और बाहर हो जाता है तो… आखिर मैंने राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय टीम में वापसी की और वहां हमारी टीम ने रजत पदक जीता. जब भी मौका मिलता है, मैं गोल्डन टैंपल यानी स्वर्ण मंदिर दर्शन करने जाता हूं. गोल्डन टैंपल में मत्था टेकने से मुश्किल स्थिति से निपटने और खुद को शांत रखने में मदद मिलती है.
सवाल: आप भारत के लिए 221 अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच खेल 85 गोल कर टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं. अब आगे इस विश्व कप के लिए आपका लक्ष्य?
जवाब: ओलंपिक में टीम से बाहर रहने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने और फिर ऑस्ट्रेलिया जाकर उसके खिलाफ हॉकी टेस्ट सीरीज खेलने से मेरे सहित हमारी पूरी भारतीय टीम को मौजूदा विश्व कप में पदक जीतने का भरोसा है. सच कहूं तो ओलंपिक में कांसा जीतने वाली टीम से बाहर रहने की कसक विश्व कप में भारत को पदक जिता पूरी करना चाहता हूं. जहां तक इंग्लैड के खिलाफ मैच की बात है तो उसके गोलरक्षक ओलिवर पेन का दिन बहुत अच्छा था और उन्होंने वाकई बेहतरीन बचाव किए. अन्यथा, हम जरूर जीतते. अब हमारी टीम ने स्पेन के खिलाफ दो गोल से जीत से आगाज किया.
सवाल: मौजूदा टीम में आप भारतीय टीम में लिंकमैन के नए किरदार को कैसा देखते हैं. अतीत में अनुभवी होने के साथ धनराज पिल्लै और बलजीत ढिल्लों भारत के लिए यह किरदार निभा चुके हैं.
जवाब: मैं स्वाभाविक रूप से स्ट्राइकर हूं और इसी पॉजिशन पिछले करीब एक दशक में मैं अलग-अलग हॉकी उस्तादों के मार्गदर्शन में भारत के लिए खेल चुका हूं. मैं भारतीय टीम की जरूरत के मुताबिक फिलहाल लिंकमैन के रूप में खेल रहा हूं. हर खिलाड़ी को टीम की रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए उसी के मुताबिक खेलना पड़ता है. इसमें मैं मुझे खुद हमले बोलने के साथ पीछे आकर टीम की मध्यपंक्ति की भी मदद करनी होती है. अब हमारी मौजूदा टीम में कई नौजवान खिलाड़ी हैं और अब मेरी जिम्मेदारी खुद टीम के लिए हमले बोलने के साथ उनकी हमलों बोलने में मदद करने की है. ओलंपिक के लिए जब मुझे भारतीय टीम में नहीं चुना गया तो सरदार पाजी ने बराबर मुझे खुद पर भरोसा रखने और मेहनत जारी रखने की सलाह की। उनकी यह सलाह मेरे बहुत काम आई.
सवाल: मौजूदा विश्व कप में कैसी है भारत की आगे की तैयारी?
जवाब: शुरू के दो मैचों में हमारी टीम अच्छा खेली और सबसे अहम बात यह है कि हमने इनमें एक भी गोल नहीं खाया. हमारा फोकस अब विश्व कप में अपने आगे के मैचों में ज्यादा से ज्यादा गोल करने पर है. हमारी टीम में इस विश्व कप में बेहतर प्रदर्शन करने का दम है. अच्छी बात यह है कि हम सभी का एक दूसरे पर भरोसा है ही और हर कोई बेहतर प्रदर्शन को तैयार है. (लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार है)