Kanpur: यूपी निकाय चुनाव में भाजपा ने जहां अपनी जीत का जश्न मना रही है, वहीं विपक्ष दल हार के कारणों की समीक्षा में जुट गए हैं. प्रमख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सभी जगह से रिपोर्ट तलब की है. हालांकि कानपुर नगर निगम में मेयर पद के चुनाव पर हार के बावजूद सपा इसे अब तक का अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन मान रही है.
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कानपुर जिलाध्यक्ष फजल महमूद को फोन करके शहर के पार्षद और महापौर चुनाव की जानकारी ली और रिपोर्ट देने को कहा है. सपा कानपुर से हारने के बाद भी चुनाव में जीत देख रही है. पार्टी नेताओं के मुताबिक उनका इस बार निकाय चुनाव में 1.5 लाख बेस वोट बढ़ा है. वर्ष 2017 में नगर निगम सदन में 12 पार्षद थे. लेकिन, इस बार सदन 18 पार्षद हो गए, जिससे मुख्य विपक्षी दल बन गया है.
समाजवादी पार्टी की महापौर प्रत्याशी वंदना बाजपेई को 262507 मत मिले है. उनकी हार 177846 मतों से हुई है. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सपा महापौर को कभी भी इतने मत नही मिले, जितने मत 2023 के चुनाव में मिले हैं. इस बार करीब 1.5 लाख अधिक वोट पार्टी को मिले हैं. वैसे तो पार्टी विधानसभा स्तर से बैठक करेगी. लेकिन, हार के कारणों पर सपा सुप्रीमो को रिपोर्ट पहले भेजी जाएगी.
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इस बार के निकाय चुनाव में कैंट विधानसभा क्षेत्र में 10 पार्षद समाजवादी पार्टी से मैदान में उतरे थे, जिसमें से पांच पार्षदों ने जीत दर्ज की है. वार्ड संख्या 102, 105, 96, 99 और 80 में सपा के प्रत्याशी जीते हैं. इन सभी प्रत्याशियों का वोट प्रतिशत भी अधिक रहा है. सपा विधायक हसन रूमी का कहना है कि एक पार्षद का समर्थन किया गया था, वह प्रत्याशी भी जीत गया है.
छावनी विधानसभा के कुल 11 में से एक पर कांग्रेस तो पांच-पांच वार्डों पर सपा और भाजपा के पार्षद प्रत्याशी जीतकर नगर निगम सदन में पहुंचे हैं. छावनी के सपा विधायक मोहम्मद हसन रूमी और पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया की सक्रियता से दोनों दलों को समान सीटें कब्जाई हैं. एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने बाजी मारी है. वर्ष 2012 से अब तक हर नगर निगम चुनाव में भाजपा के पाले में पांच वार्ड ही आते हैं.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी