अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने आर माधवन (R Madhavan) के हालिया कमेंट पर प्रतिक्रिया दी है कि कैसे कम समय में अच्छी फिल्में नहीं बनाई जा सकती हैं. आर माधवन ने हाल ही में रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट के प्रमोशन के दौरान उन्होंने कहा था कि आजकल के स्टार्स फिल्मों को उतना समय नहीं देते. इसके बाद उनके इस बयान को अक्षय कुमार से जोड़कर देखा जाने लगा जिसमें उन्होंने 42 दिनों (सम्राट पृथ्वीराज) में फिल्मों की शूटिंग खत्म करने का दावा किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जब अक्षय कुमार से माधवन के इस कमेंट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,“ क्या कहना चाहूंगा? भाई मेरी फिल्में खत्म हो जाती है तो मैं क्या करूं? मैं इसमें थोड़ी ही कुछ कर सकता हूं मेरी फिल्में खत्म हो जाती हैं. एक डायरेक्टर आता है और कहता है भैया आपका काम खत्म आप घर जाइए, तो अब मैं उससे लडूं.”
दरअसल अपनी हालिया रिलीज फिल्म रॉकेट्री: द नांबी प्रोजेक्ट के लिए हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आर माधवन ने अल्लू अर्जुन का उदाहरण देते हुए कहा था कि, पुष्पा: द राइज और आरआरआर जैसी फिल्मों को शूट करने में एक साल से ज्यादा का समय लगा और दर्शक स्पष्ट रूप से उन लोगों को पसंद करते हैं. ऐसी फिल्में जो 3-4 महीने में बनती हैं.
निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने इन खबरों का खंडन किया और कहा कि उन्हें अक्षय पर पूरा भरोसा है. आनंद एल राय ने मजाक में कहा कि अक्षय ने बार-बार यह दावा करके दुनिया को ‘गुमराह’ किया है कि उनकी फिल्में 40-45 दिनों में पूरी हो जाती हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वह लोगों को यह नहीं बताते कि वह लंबे समय में कितना काम पूरा करने में सक्षम हैं. बता दें कि अतरंगी रे के बाद रक्षा बंधन उनका दूसरा सहयोग है. बता दें कि रक्षा बंधन 11 अगस्त को सिनेमाघर में रिलीज होनेवाली है.
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हाल ही में बॉलीवुड बनाम दक्षिण सिनेमा की ज्वलंबहस पर अक्षय कुमार ने कहा था कि वह ‘पैन-इंडिया’ शब्द से नहीं समझते हैं. उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हर फिल्म काम करेगी, यह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण है. मैंने अपनी फिंगर क्रॉस कर ली है, क्योंकि मुझे नहीं पता कि क्या होगा, और यह शब्द पैन इंडिया, ये मेरी समझ के बाहर है.” अक्षय कुमार ने आगे कहा, “देखिए, मैं इस बंटवारे में विश्वास नहीं करता. मुझे इससे नफरत है जब कोई कहता है, ‘दक्षिण इंडस्ट्री और उत्तर इंडस्ट्री.’ हम सब एक इंडस्ट्री हैं. मेरा यही मानना है. मुझे लगता है कि हमें यह सवाल पूछना भी बंद कर देना चाहिए.”