Akshaya Tritiya 2022 Date: अक्षय तृतीया कब है? जानें सही डेट, इस दिन का महत्व और शुभ मुहूर्त
Akshaya Tritiya 2022 Date: भारत में अक्षय तृतीया के दिन को अत्यंत शुभ माना जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह वैशाख माह में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन पड़ता है.
Akshaya Tritiya 2022 Date: अक्षय तृतीया को अक्ती या आखा तीज के रूप में भी जाना जाता है, जो भारत में सबसे शुभ दिनों और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. जैसा कि नाम से पता चलता है, यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन पड़ता है. संस्कृत में अक्षय का अर्थ कुछ ऐसा है जो कभी कम नहीं होता. तृतीया महीने के तीसरे दिन को बताता है. इसलिए, अक्षय तृतीया अनंत समृद्धि, खुशी, सफलता और आशा का तीसरा दिन होता है.
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त (Akshay Tritiya Puja Muhurat)
अक्षय तृतीया पर पूरे भारत में धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. देवी लक्ष्मी के साथ, भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है. भारत के कुछ हिस्सों में, लक्ष्मी नारायण पूजा भी की जाती है. अक्षय तृतीया को सोना, चांदी या अन्य कीमती सामान खरीदने के लिए भी अत्यंत शुभ दिन माना जाता है.
अक्षय तृतीया का मुहूर्त (Akshay Tritiya Shubh Muhurat)
अक्षय तृतीया तिथि (Akshay Tritiya Date): 3 मई 2022, मंगलवार
पूजा मुहूर्त (Puja Muhurat): 06:05 सुबह से 12:37 रात (IST)
सोना खरीदने का मुहूर्त (Gold Purchasing Muhurat:): 05:18 पूर्वाह्न से 06:05 पूर्वाह्न (IST)
अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व (Astrological Significance of Akshay Tritiya)
अक्षय तृतीया के दिन सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृष राशि में होता है. यह वैशाख में शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के ग्रेगोरियन महीनों में आती है. यह भी माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा अपने सबसे चमकीले रूप में होते हैं.
साल का सबसे शुभ दिन
वैदिक ज्योतिष में, तीन चंद्र चरणों को वर्ष का सबसे शुभ काल माना जाता है. इन तीन चंद्र चरणों में पहला चैत्र शुक्ल प्रदीप्त (चैत्र के महीने में चंद्रमा के उज्ज्वल आधे की पहली तिथि), दूसरा विजया दशमी, और तीसरा अक्षय तृतीया है. इन तीन दिनों को ‘पूर्ण’ शुभ मुहूर्त माना जाता है, जबकि कार्तिक शुक्ल प्रदीप्त (कार्तिक में चंद्रमा के उज्ज्वल आधे की पहली तिथि) को ‘आधा’ माना जाता है. इन तीनों को मिलाकर ‘साढ़े तीन मुहूर्त’ (साढ़े तीन मुहूर्त) कहा जाता है.
अक्षय तृतीया से जुड़ी किंवदंतियां और कहानियां (Legends and Stories Related to Akshay Tritiya)
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अक्षय तृतीया इतिहास में कई महत्वपूर्ण शुरुआत का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश और वेद व्यास ने इसी दिन महाभारत लिखना शुरू किया था. सुदामा की अपने पुराने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने और भगवान द्वारा अपने मित्र को धन और धन लाभ प्रदान करने की कहानी भी इसी दिन हुई थी.
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भगवान कृष्ण और अक्षय तृतीया से जुड़ी एक और कहानी है. कृष्ण ने पांडवों को ‘अक्षय पात्र’ भेंट किया, जिससे भोजन कभी समाप्त नहीं होता.
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अखा त्रिज पर देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ और गंगा भी स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई.
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कुबेर ने देवी लक्ष्मी की पूजा की और अक्षय तृतीया के दिन उन्हें कोषाध्यक्ष बनाया गया.
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जैन लोग पहले भगवान आदिनाथ के लिए इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं.