Akshaya Tritiya 2023: कब है अक्षय तृतीया 22 या 23 अप्रैल, 125 साल बाद बन रहा पंचग्रही योग, इनके लिए मंगलकारी

Akshaya Tritiya 2023: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर्व अपने आप में अनुभुजा (अनपूछा) मुहूर्त है. शनिवार को आने व मेष राशि में चतुरग्रही महासंयोग, वृषभ राशि में स्वग्रही शुक्र उच्च का चंद्रमा स्वग्रही कुंभ राशि में शनि देव होने की वजह से यह अत्यंत मंगलकारी हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 19, 2023 7:08 PM

अलीगढ़. अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार को मनाई जाएगी. हालांकि कुछ जगहों पर 23 अप्रैल को महिलाएं व्रत रखेंगी. इसकी वजह प्रदोष और उदया तिथि बतायी जा रही है. अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय पर्वों में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है. इससे जुड़ी कुछ पुरानी पौराणिक जानकारियों के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदयरंजन शर्मा ने विस्तृत जानकारी दे रहे हैं. इस वर्ष 22 अप्रैल अक्षय तृतीया पर मंगलकारी संयोग बन रहा है. इस शुभ संयोग का फायदा हर किसी को मिलेगा. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर्व अपने आप में अनुभुजा (अनपूछा) मुहूर्त है. शनिवार को आने व मेष राशि में चतुरग्रही महासंयोग, वृषभ राशि में स्वग्रही शुक्र उच्च का चंद्रमा स्वग्रही कुंभ राशि में शनि देव होने की वजह से यह अत्यंत मंगलकारी हो गया है.

इस दिन मनायी जाएगी भगवान परशुराम जयंती

आज ही के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. मां अन्नपूर्णा का जन्म की भी मान्यता है. मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन पृथ्वी पर हुआ था. द्रोपदी को चीरहरण से भगवान श्री कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था. कुबेर को आज के दिन खजाना मिला था. सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ आज के दिन हुआ था. कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी हुआ था. प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं. वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं. महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था. अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है.

अक्षय तृतीया का विशेष महत्व

अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य के लिए जाना जाता है. इस दिन का महत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सबसे अधिक माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है. इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है. इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता. यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है.

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इस दिन आरंभ किए गए कार्य होता है  शुभ

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो. माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं. उनका कभी क्षय नहीं होता है. इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं. यही वजह है कि ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ इसी दिन होता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है. वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है. लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है. इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं.

इस दिन करें ये काम

विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है. इस दिन लोग श्रद्धा से गंगा स्नान भी करते हैं और भगवद् पूजन करते हैं. ताकि जीवन के कष्टों से मुक्ति पा सकें. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से अपने अपराधों की क्षमा मांगने पर भगवान क्षमा करते हैं और अपनी कृपा से निहाल करते हैं. अत: इस दिन अपने भीतर के दुर्गुणों को भगवान के चरणों में अर्पित करके अपने सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.

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