किशनगंज : वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाया जाता है. इसे अबूझ मुहूर्त कहा गया है. इस बार यह 26 अप्रैल को है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य जरूर सफल होता है. पंडितों के मुताबिक,अक्षय तृतीया पर किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती. इस तिथि में किया गया कोई भी कार्य कभी भी निष्फल नहीं होता है. यह तिथि सभी तरह के शुभ कार्यो को करने के लिए शुभ मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है.
मान्यता है कि इस दिन किए गए दान का पुण्य अक्षय रहता है यानी कभी नष्ट नहीं होता. दिघलबैंक दुर्गा मंदिर के पुजारी सरोज झा के अनुसार कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार अक्षय तृतीया की पूजा घर पर ही करना श्रेष्ठ रहेगा. मान्यता है सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत इस तिथि पर हुई थी. इस दिन ही भगवान परशुराम का जन्म व मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. सभी तरह की शुभ तिथियों में इस तिथि का महत्व काफी अधिक है.स्वर्ण खरीदने का है विधानअक्षय तृतीया के दिन सोना अथवा चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है.
कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं. साथ ही इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करने चाहिए. चूंकि कन्या दान सभी दानों में महत्वपूर्ण बताया गया है, इसलिए इस दिन लोग शादी-विवाह का विशेष आयोजन करते हैं. हालांकि इस बार कोरोना और लॉक डाउन के चलते बाजार बंद है इसलिए खरीददारी संभव नहीं है.जबकि त्योहार का आयोजन लोग घर पर ही कर सकेंगे.