खगड़िया ; अक्षय तृतीया पर इस बार शुभ योग बन रहे हैं. जिले में 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जायेगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनायी जाती है. अक्षय तृतीया को अखा तीज भी कहा जाता है. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और शुभ मुहूर्त में सोना खरीदा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से धन संपदा में अक्षय वृद्धि होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया को ही त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था. आचार्य रामनरेश पाठक ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है. उन्होंने इस दोनों नक्षत्रों का संयोग बहुत ही फलदायक माना जाता है.
इस बहुत अच्छा मुहूर्त है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. आचार्य ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन शंख से की गयी पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होते हैं. भगवान परशुराम जयंती भी इसी दिन मनायी जाती है. उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया का प्रारंभ 26 अप्रैल को दोपहर 01:22 बजे से हो रहा है, जो 27 अप्रैल को दोपहर 02:29 बजे तक है. अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय 26 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 51 मिनट से शाम को 05 बजकर 45 बजे तक शुभ मूर्हत माना गया है.अक्षय फल देता है अक्षय तृतीयाअक्षय तृतीया का पर्व बहुत ही अहम माना जाता है. इस दिन लोग निश्चित तौर पर शुभ मूहूर्त में सोने की खरीदारी करते हैं.
आचार्य रामनरेश पाठक कहते हैं कि इस दिन दान करने से अक्षय फल मिलता है. अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी नाश न हो. इस दिन अबूझ मुहूर्त भी होती है. आचार्य ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन अच्छे कार्य करने के लिये किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं है. अक्षय तृतीया के दिन कभी भी अच्छे कार्य कर सकते हैं. यह शुभ फलदायक होता है. वहीं आचार्य रामनरेश ने लोगों से लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के बजाय अपने घरों में ही अक्षय तृतीया का पर्व मनाने की अपील की है. उन्होंने लोगों से लॉकडाउन में घर में रहकर ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने को कहा.
उन्होंने बताया कि पूजा के लिए सुबह स्नान करके भगवान विष्णु को कच्चे दूध से स्नान कराएं. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर दक्षिणावर्ती शंख में जलभरकर अर्पित करें. इसके अलावा बचे जल को घर में छिड़कें. माता लक्ष्मी को पंच मेवे का भोग लगाएं और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगा सकते हैं. अक्षय तृतीया का पौराणिक इतिहासआचार्य रामनरेश ने बताया कि अक्षय तृतीया का पौराणिक इतिहास महाभारत काल से ही मिलता है. उन्होंने बताया कि महाभारत से पहले जब पांडवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ था तो एक दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में पधारे थे.
तब द्रौपदी से जो भी बन पड़ा, जितना हुआ, उतना उनका श्रद्धा और प्रेमपूर्वक सत्कार किया. जिससे वे ऋषि काफी प्रसन्न हुए. दुर्वासा ऋषि ने उस दिन द्रौपदी को एक अक्षय पात्र प्रदान किया. साथ ही उनसे कहा कि आज अक्षय तृतीया है, अतः आज के दिन धरती पर जो भी श्रीहरि विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करेगा. तथा इच्छानुसार दान करेगा तो उसका घर का भंडार सदैव भरा रहेगा. उसके धन-धान्य का क्षय नहीं होगा, उसमें अक्षय वृद्धि होगी.लॉकडाउन के कारण नहीं हो पायेगी खरीदारीवैसे तो अक्षय तृतीया के दिन सोने व आभूषण की खरीदारी करना शुभ माना जाता है.
शहर के 80 फीसदी लोग अपने इच्छानुसार किसी न किसी प्रकार के धातु व आभूषण की खरीदारी करते हैं. अक्षय तृतीया के दिन लोगों की भीड़ ज्यादा ज्वेलर्स दुकानों में लगती है. अधिकांश लोग इस दिन आभूषणों की खरीदारी करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. इस कारण लगभग सभी दुकानें बंद है. इस कारण लोग अक्षय तृतीया का पर्व सादे तरीके से मनायेंगे. वही लोग अपनी इच्छानुसार खरीदारी भी नहीं कर सकेंगे.