Kanpur News: पहाड़ों पर हो रही बारिश का असर कानपुर और उसके आसपास के जनपदों में भी दिखने लगा है. इस सीजन में कानपुर गंगा बैराज से रविवार की देर रात को लगभग 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंगा बैराज पर लगातार बढ़ते दबाव के मद्देनजर पानी को छोड़ना पड़ा.
पहाड़ों के साथ ही मैदानी इलाकों में हो रही बारिश का शहर पर बड़ा असर पड़ा है. सीजन में पहली बार कटरी के गांव की तरफ गंगा की मुख्य धारा में पानी लबालब हो गया है. अगर यही हाल रहा तो कानपुर में अगले तीन दिनों में स्थिति और विकराल हो सकती है. कटरी के गांव बाढ़ की चपेट में आने वाले हैं.
वहीं अभी बिठूर से जाजमऊ तक के सभी गंगा घाट की सीढ़ियां डूब चुकी हैं. गंगा के नरौरा बैराज के साथ ही काली नदी और रामगंगा और आसपास के शहरों व नालों का पानी भी गंगा को और विकराल बना दिया है. पिछले चौबीस घंटे में गंगा का जलस्तर 39 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका है. बिठूर में ब्रह्मावर्त खूंटी पहले ही डूब चुकी है. बैराज के गेज रीडर उत्तम पाल का कहना है कि नरौरा से लगातार भारी मात्रा में आ रहा पानी खतरनाक हो सकता है.
कानपुर में गंगा का जलस्तर डेंजर जोन के करीब पहुंच गया है. जिसके बाद से गंगा घाटों पर नौका विहार पर रोक लगा दी गई है. गंगा बैराज का बोट क्लब भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है. बता दें कि गंगा का जलस्तर बीते दस दिन से लगातार बढ़ रहा है. शनिवार की रात आठ बजे शुक्लागंज में गंगा चेतावनी बिंदु से महज 50 सेंटीमीटर दूर थी. रविवार की सुबह ये चेतावनी बिंदु से महज 39 मीटर दूर रह गई.
शुक्लागंज में गंगा का चेतावनी बिंदु 112 मीटर पर है. यहां पर खतरे का निशान 113 मीटर है. इसके चलते रविवार को शहर में इस सीजन का सबसे ज्यादा 2.95 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है.
बताते चलें कि साल 2020 में गंगा का जलस्तर अपस्ट्रीम में 115.800 मीटर तक पहुंच गया था.जो कि आज तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है.इस बार गंगा में पानी का सैलाब बढ़ा तो सिंचाई विभाग ने बैराज के सभी 30 फाटक खोल दिए. बावजूद इसके गंगा का जलस्तर कम नहीं हो रहा. फिलहाल गंगा बैराज में आप इस टीम में 113.15 और डाउनस्ट्रीम में 112. 883 मीटर जलस्तर है.
गंगा का जलस्तर बढ़ता देखते हुए जिला प्रशासन ने भी आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. कटरी क्षेत्र में गंगा का जलस्तर पहुंचने लगा है. आसपास के गांव में जल्दी जलस्तर पहुंच जाएगा. इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियां बनाई है. वहीं निचले स्थान पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए कहा गया है.
सरसैया घाट पर गंगा के तेवर देख नाव चलाने वाले नाविक काफी परेशान हैं. ये लोग पूरे साल घाटों पर नाव चलाकर अपने परिजनों का पालन पोषण करते हैं और गंगा की रेत पर अपनी झोपड़ी बनाकर गुजर बसर करते हैं. गंगा का जलस्तर जिस तरीके से उफान पर है, यहां इन लोगों का रहना खतरे से खाली नहीं है. जलस्तर बढ़ने से गंगा में बहकर जहरीले जीवजंतु, सांप, बिच्छू, बिचखापड़ आदि आ रहे हैं. पीड़ित परिवारों ने प्रशासन से कहीं और उनके रहने की व्यवस्था करने की मांग की है, जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें.
इस बीच हरिद्वार और नरौरा बांध से छोड़ा गया हजारों क्यूसेक पानी अब गंगा बैराज पर पहुंच गया है. पानी का दबाव होने के कारण बैराज के सभी 30 गेटों को खोल दिया गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले घाटों से दूर हुई गंगा अब फिर से अपने स्थान पर पहुंच गई है. सरसैया घाट से कुछ दूर बना रेत का टीला गंगा के पानी में डूबने लगा है. इसके बाद वहां पर रहने वाले लोगों को आनन-फानन में झोपड़ी खाली करने को कहा गया है. वह अपनी गृहस्थी समेटने में जुट गए हैं.
इस बीच आगरा में भी बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. यमुना में गोकुल बैराज से हर घंटे पानी छोड़ा जा रहा है. 10 घंटे में यमुना का जलस्तर एक फीट बढ़ रहा है. सोमवार दोपहर 12 बजे यमुना का जलस्तर 497.4 फीट तक पहुंच गया है, जो कि मीडियम फ्लड लेवल से केवल डेढ़ फीट कम है. माना जा रहा है कि सोमवार रात तक यमुना का जलस्तर एक से दो फीट तक और बढ़ सकता है. इसको लेकर प्रशासन अलर्ट है.