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यूपी में बिना स्टूडेंट्स के कितने स्कूलों का हो रहा संचालन? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब

Allahabad High Court: याची के अधिवक्ता महेंद्र कुमार शुक्ल ने हाईकोर्ट को खंड शिक्षा अधिकारी नगर की एक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अध्यापकों व शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण वहा एक भी छात्र नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से जवाब मांगा है की प्रदेश में ऐसे कितने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें छात्र संख्या शून्य है. हाईकोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों की खस्ता हालत और शैक्षिक गुणवत्ता पर भी यूपी सरकार से जवाब तलब किया है.

यह आदेश हाईकोर्ट चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने नंदलाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए किया. अधिवक्ता महेंद्र कुमार शुक्ल ने कोर्ट के समाने याची का पक्ष रखा. याची ने प्रयागराज के दारागंज स्थित उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय सहित कई विद्यालयों का मामला उठाया है.

याची के अधिवक्ता महेंद्र कुमार शुक्ल ने हाईकोर्ट को खंड शिक्षा अधिकारी नगर की एक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अध्यापकों व शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण वहा एक भी छात्र नहीं है. विद्यालयों में शिक्षा का स्तर काफी खराब है.

याचिका में खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए है की अध्यापकों को कक्षा चार स्तर की भी अंग्रेजी नहीं आती है. न ही हिंदी शुद्ध है. साइंस की अध्यापिका को बाक्साइट का फार्मूला तक पता नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट को बताया गया की कई शिक्षकों ने शैक्षणिक कार्य भी नहीं किया है.

याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया की नगर के एक विद्यालय के अध्यापक पर कंपोजिट ग्रांट के 50 हजार रुपये और एक अध्यापिका पर 25 हजार रुपये के गबन का आरोप है. इसके साथ ही पुस्तकों के किराए के लिए आई धनराशि का भी दुरुपयोग किया गया है. प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालय में चलाई जा रही मिड डे मील की व्यवस्था में भी तमाम तरह की खामियां है. कई स्कूलों में या तो मिड-डे-मील बनता नहीं है यदि बनता है तो बेहद घटिया क्वालिटी का.

याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि शैक्षणिक स्तर और परिषदीय विद्यालयों की खस्ताहाल स्थिति के कारण ही अभिभावक अपने बच्चों को यहां नहीं भेजना चाहते. जिससे छात्र संख्या शून्य हो गई है. हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार से पूछा है कि प्रदेश में ऐसे कितने विद्यालय हैं जहां छात्रों की संख्या शून्य है.

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इनपुट : एसके इलाहाबादी

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