इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी गोकशी मामलों का विवरण, कहा- गंभीरता से देखें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को निर्देश दिया कि प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज गोकशी के मामलों को गंभीरता से देखें. इसके अलावा अदालत ने पुलिस कमिश्नर को एक प्रगति रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया है.
यूपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को निर्देश दिया कि प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज गोकशी के मामलों को गंभीरता से देखें. इसके अलावा अदालत ने पुलिस कमिश्नर को एक प्रगति रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह जानकारी हो कि गोकशी के कितने मामले प्रयागराज जिले में दर्ज हैं, कितने मामलों में जांच चल रही है और कितने मामलों में आरोपपत्र एवं अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई है. दरअसल, सैफ अली खान नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका के लिए अपील दायर की थी. शनिवार को उसकी याचिका सुनवाई करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अगली तारीख 18 दिसंबर 2023 निर्धारित की है.
सैफ अली खान पर गोकशी का आरोप है और 2019 में उसके पास से 1.5 क्विंटल गोमांस बरामद किया गया था. प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा अदालत में पेश हुए और गोकशी के मामले रोकने के लिए उठाये गए कदमों के संबंध में जानकारी देते हुए एक हलफनामा दाखिल किया. अदालत ने इस हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया, लेकिन पुलिस अधिकारियों द्वारा गोकशी को रोकने के लिए किये गये प्रयासों पर असंतोष जाहिर किया. हालांकि, राज्य सरकार के वकील के अनुरोध पर अदालत ने दोबारा से हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी. इसके साथ ही अदालत ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को अगली तिथि पर व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट दी.
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होईकोर्ट- शैक्षिक प्रमाण मौजूद तो अस्थि जांच की जरूरत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किशोर घोषित अपचारी के आयु निर्धारण के लिए अस्थि जांच कराने की मांग खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा शैक्षिक प्रमाण पत्र की उपलब्ध है तो आयु निर्धारण के लिए न अस्थि जांच की जरूरत है और न इसका आदेश दिया जा सकता है. यह फैसला जस्टिस राजबीर सिंह की अदालत ने याची की ओर से अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी को निचली अदालत द्वारा किशोर घोषित किए जाने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनाया. मामला सहारनपुर के थाना क्षेत्र रामपुर मनिहारन का है. दो जनवरी को याची ने बाल अपचारी के खिलाफ अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण की एफआईआर दर्ज करवाई थी. बताया कि आरोपी उसकी बेटी को बहला फुसला कर भागा ले गया और बाद दो दिन बाद उसे वापस घर छोड़ गया. घर लौटी बेटी डरी सहमी थी. विवेचना के दौरान आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम की धाराओं की बढ़ा दी गई.
आरोपी के पिता की ओर से सहारनपुर के विशेष न्यायधीश को अदालत में हाईस्कूल का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हुए उसे किशोर घोषित करने की मांग की गई. दावा किया गया कि कथित घटना की तारीख को आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कम थी. अदालत ने आरोपी के हाईस्कूल के प्रमाणपत्र कम अंकित जन्मतिथि के आधार पर उसे किशोर घोषित कर दिया. निचली अदालत द्वारा आरोपी को किशोर घोषित करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याची ने कहा कि आरोपी की जन्मतिथि शैक्षिक प्रमाणपत्र के कम कर लिखाई गई है. वास्तव में वह बालिग है. अस्थि जांच करवा कर आरोपी की वास्तविक आयु का पता लगाया जाना जरूरी है. कोर्ट ने आयु निर्धारण के लिए बाल अपचारी के अस्थि जांच की मांग को सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 का हवाला देते हुए कहा कि शैक्षिक प्रमाणपत्र मौजूद है तो आयु निर्धारण के लिए उसे ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी. ऐसे में न अस्थि जांच की जरूरत है और न जांच का आदेश दिया जा सकता है.