इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कानपुर के बिकरू कांड में शामिल जय कांत बाजपेयी की जमानत अर्जी को किया खारिज
जय कांत बाजपेयी ने कानपुर नगर के थाना चौबेपुर में 147, 148, 149, 332, 353, 333, 307, 302, 396, 412, 120-बी, 34, 504, 506 आईपीसी एवं धारा 7 आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका दायर की गई थी.
कानपुर. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर के बिकरू कांड में शामिल जय कांत बाजपेयी उर्फ जय की जमानत अर्जी खारिज कर दी है, इस घटना में सर्किल अधिकारी, बिल्हौर सहित आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. सात अन्य पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटें आई थीं. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने जय कांत बाजपेयी उर्फ जय द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. जय कांत बाजपेयी ने कानपुर नगर के थाना चौबेपुर में 147, 148, 149, 332, 353, 333, 307, 302, 396, 412, 120-बी, 34, 504, 506 आईपीसी एवं धारा 7 आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका दायर की गई थी.
8 पुलिसकर्मियों की पीट-पीटकर हत्या का है मामला
दिल दहला देने वाली घटना में एक अंचल अधिकारी समेत 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और 7 पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटें आईं. आरोपितों ने पुलिस कर्मियों से हथियार लूट लिए. विवेचना के दौरान मुख्य आरोपी विकास दुबे के बयान के आधार पर यह खुलासा हुआ कि जय कांत तिवारी 02 जुलाई 2020 की शाम को विकास दुबे एवं अन्य अभियुक्तों के साथ एक बैठक में योजना बनाने के लिए उपस्थित था. उसने मुख्य आरोपी विकास दुबे को यात्रा करने के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए पैसा और गोला-बारूद उपलब्ध कराया था. इसके अलावा सह आरोपी प्रशांत कुमार शुक्ला और विपुल दुबे ने भी उसके विकरू हत्याकांड में सक्रिय संलिप्तता की बात कही है.
आपराधिक इतिहास – संलिप्ता बनी जमानत के खारिज का आधार
कोर्ट ने अपने फैसला में कहा है कि अपराध की प्रकृति और दोष की मात्रा गंभीर और जघन्य है, आवेदक (जय कांत बाजपेयी )का जघन्य प्रकृति के मामलों का आपराधिक इतिहास रहा है. वह उस घटना में सक्रिय रूप से शामिल है जिसमें सर्किल अधिकारी, बिल्होरे सहित आठ पुलिस कर्मियों की निर्दयता से हत्या कर दी गई और सात अन्य पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटें आईं. मुख्य आरोपी विकास दुबे को घटना में इस्तेमाल होने वाले 2 लाख रुपये और 25 कारतूस मुहैया कराकर मदद की थी. कोर्ट ने कहा 4 अपराध के आरोपी को जमानत मिलने की 14आपराधिक केस वाले याची को पैरिटी नहीं दी जा सकती.