इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश अब हिंदी में भी मिलेगा, इस पोर्टल पर ऐसे देख सकते हैं निर्णय की कॉपी

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय आम जनता को सुगमता से हिंदी में मिल सके इसके लिए चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल का उद्घाटन किया. हाईकोर्ट का निर्णय हिंदी में कहां देखें यहां जानिए.

By Sandeep kumar | August 27, 2023 8:25 AM

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का निर्णय आम जनता को सुगमता से हिंदी में मिल सके इसके लिए चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया. हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में हिंदी भाषा में अनुवादित फैसले प्रकाशित करना शुरू कर दिया था. जस्टिस प्रितिंकर दिवाकर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेने के बाद यह निर्णय लिया था.

ऐसे देख सकते हैं हिंदी में फैसले

पोर्टल पर इस लिंक https://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/translation/vernacular.htm के माध्यम से सीधा पहुंचा जा सकता है. पोर्टल पर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों को आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी हो सके.

इन अनुवादित निर्णयों को हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट www.allahabadhighcourt.in पर क्लिक करने के बाद होम पेज पर ‘अनुवादित निर्णय’ ऑप्शन पर क्लिक करके देखा जा सकता है. अनुवादित निर्णय क्लिक करते ही दूसरा पेज खुलेगा. वहां आपको दो ऑप्शन दिखेंगे. ‘सुप्रीम कोर्ट के अनुवादित निर्णय’ और ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुवादित निर्णय’. आप अपने आवश्यकता अनुसार निर्णय को वहां क्लिक करने के बाद देख सकते हैं. और डाउनलोड कर सकते हैं.

हिंदी अनुवाद में फैसले सिर्फ जानकारी के लिए

बता दें कि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन अनुवादित निर्णयों का उपयोग किसी भी कानूनी या आधिकारिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा. यह पूरी तरह से केवल व्यक्तिगत जानकारी के लिए होगा. सादे समारोह में जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता, जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा, जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह मौजूद रहे.

पुलिस विभाग के लचर व्यवहार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट पुलिस व्यवस्था को जवाब देह बनाने के लिए यूपी सरकार को निर्देश दिए दिए हैं. शुक्रवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस विभाग के भीतर जवाबदेही की एक प्रभावी प्रणाली के लिए नियम बनाने पर विचार करने को कहा है, ताकि समय बद्ध तरीके से काम हो सके. हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी हत्या के मामले जेल में बंद शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कही.

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने शुक्रवार को हत्या के एक मामले में आरोपी भंवर सिंह नाम के एक व्यक्ति की जमानत की अर्जी स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता भंवर सिंह इस मामले में साल 2014 से ही जेल में बंद है. सुनवाई के दौरान अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि निचली अदालतों द्वारा भेजी गई स्थिति रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस अधिकारियों ने समन की तामील समय पर नहीं की, जिससे सुनवाई में देरी हुई.

पुलिस के रवैये पर लगाई फटकार

कोर्ट ने कहा कि चूंकि पुलिस अधिकारियों ने समन की तामील नहीं की और समयबद्ध तरीके से तय तिथि पर गवाहों की पेशी नहीं कराई, इसलिए सुनवाई में विलंब होता रहा. समन पहुंचाने में राज्य पुलिस की असमर्थता पर अदालत ने कहा कि यह एक स्थानिक समस्या है और आपराधिक कानूनी प्रक्रिया में एक बड़ी अड़चन है.

इससे लोगों का न्याय तंत्र में भरोसा घटता है. इसलिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इन सब जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं. हाईकोर्ट ने त्वरित सुनवाई के महत्व पर कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के आरोपी के अधिकार का हनन किया जा रहा है और पुलिस विभाग की इन विफलताओं के परिणाम स्वरूप जमानत का अधिकार बाधित किया जा रहा है. इससे न्यायिक प्रक्रिया में देरी होती है.

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