Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सोमवार को एसआईटी ने मैनपुरी के नवोदय विद्यालय में 2019 में हुई छात्रा की मौत मामले में सील बन्द लिफाफे में रिपोर्ट पेश की. मुख्य न्यायाधीश राजेश बिन्दल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने एसआईटी की रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि कोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है. 25 अक्टूबर को डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट नहीं आती तो डीजीपी उस दिन कोर्ट में हाजिर रहें.
सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखी. अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जांच एजेंसी ने छात्रा की कॉलेज परिसर में हुई मौत मामले में 170 डीएनए सैंपल कलेक्ट करके टेस्ट के लिए भेजा है. अभी डीएनए टेस्ट रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. कोर्ट ने यह आदेश महेन्द्र प्रताप सिंह की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. मामले में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी.
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में लड़की के माता-पिता को सुरक्षा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की प्रति जिला जज मैनपुरी को भी भेजने का निर्देश दिया था. वहीं, डीजीपी को हाईकोर्ट ने इस मामले की दो माह में जांच पूरी करने को लेकर सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया था. तब डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि मैनपुरी के तत्कालीन रिटायर एसपी को सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान रोक दिया गया है. उन्हें केवल प्रोविजनल पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. मामले की जांच एडीजी की निगरानी में करायी जा रही है. जांच में लापरवाही बरतने पर एएसपी, डिप्टी एसपी व आईओ को सस्पेंड कर दिया गया है.
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हाईकोर्ट ने पिछली तारीख पर डीजीपी समेत सभी उपस्थित पुलिस अधिकारियों की हाजिरी माफ़ करते हुए कहा था कि स्वर्ग कहीं और नहीं है. सबको अपने कर्मों का फल यहीं भुगतना पड़ता है. कोर्ट ने डीजीपी से यह भी कहा था कि पुलिस को जांच के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है. अधिकांश जांच कांस्टेबल करता है. दारोगा कभी-कभी जाते हैं.
कोर्ट ने कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है. उसके सिर पर चोट के निशान थे. इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों? इस पर डीजीपी मुकुल गोयल ने कोर्ट से फिर से एसआईटी गठित करने की बात कही थी.
बता दें कि 16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय छात्रा का मैनपुरी जवाहर नवोदय विद्यालय शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था. शुरू में पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला बताया था. वहीं, दूसरी ओर मृतका की मां ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी को पहले परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया.
उस वक्त घटना को लेकर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. मृतक छात्रा के परिजनों ने भी धरना देते हुए मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई थी, जिसके बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी.
रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी