Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस समीर अहमद ने हत्या के मामले में एक किशोर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को पलट दिया. कोर्ट ने कहा कि जब अपराध में एक जैसी संलिप्तता होने के कारण, वयस्क आरोपी को जमानत दे दी गई है तो किशोर को भी जमानत पाने का अधिकार है. इसलिए उसी मामले में किशोर के लिए अलग से जांच करने का कोई औचित्य नहीं होगा.
साथ ही यह भी कहा कि घटना की तारीख को किशोर 17 साल 3 महीने और 19 दिन का था और 15 अगस्त, 2020 से जेल में है. वह अधिकतम अवधि में से सजा की पर्याप्त अवधि पूरी कर चुका है. किशोर के लिए संस्थागत कैद की अनुमति 3 वर्ष है. जबकि उक्त मामले में सह-आरोपी को पहले ही जमानत दी जा चुकी है. आखिर में हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, वाराणसी और किशोर न्याय बोर्ड, वाराणसी द्वारा पारित आदेशों को समाप्त कर आरोपी किशोर को जमानत दे दी.
वहीं किशोर के पिता ने भी कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि वह उसे अपनी देखरेख में रखेगा और किसी प्रकार की गलत संगत में नहीं पड़ने देगा. गौरतलब है की यह मामला कथित रूप से घायल दो व्यक्तियों में एक की मौत का है. जिसमे किशोर भी आरोपी है. वहीं, उक्त मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी किशोर को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि एक्ट के उक्त प्रावधान के तहत एक किशोर को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. यदि यह मानने के उचित आधार हैं कि रिहाई से वह किसी अपराधी या अपराधिक गतिविधियों से जुड़ सकता है या उसे नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक खतरा हो सकता है. वहीं, इस मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, वाराणसी ने भी किशोर को जमानत देने से इंकार कर दिया था.