Allahabad High Court Update: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में तहसील बार एसोसिएशन गाजियाबाद के तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि वकालत वाणिज्यिक व्यवसाय नहीं है. अधिवक्ता न्यायालय का अधिकारी होता है. वह वकालत के साथ अन्य व्यवसाय नहीं कर सकता. इसलिए अधिवक्ता चैंबर में घरेलू विद्युत कनेक्शन चार्ज ही लिया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन सदर तहसील परिसर गाजियाबाद की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने नोएडा पावर कारपोरेशन द्वारा वाणिज्यिक बिजली दर लेने को विभेदकारी माना है और वकीलों से घरेलू विद्युत चार्ज लेने का निर्देश दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीएसई और उत्तर प्रदेश सरकार से राज्यभर में स्कूल-कॉलेज भवनों में चल रहे कोचिंग संस्थानों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मनीष कुमार मिश्र की याचिका पर दिया है. याचिका में यूपी कोचिंग विनियमन अधिनियम 2002 और सीबीएसई परिपत्र (अगस्त 2019) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया कि याची जानकी ट्रस्ट का सदस्य है, जो सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल चला रहा है.
उसका कहना है कि उनके संस्थान के आसपास सीबीएसई से संबद्ध कई संस्थान और स्कूल और कॉलेज भवनों के परिसर में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं, जो सीबीएसई के साथ यूपी कोचिंग विनियमन अधिनियम 2002 की नीति के विपरीत है. कहा गया कि इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को कई बार अर्जियां दी गईं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तारीख लगाई है.
याचिका के अनुसार सीबीएसई के 2019 परिपत्र के साथ राज्य के 2002 अधिनियम में स्कूल और कॉलेज भवनों, परिसर के भीतर कोचिंग संस्थान चलाने पर रोक है. सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों को अपने परिसर से व्यावसायिक गतिविधि चलाने पर विशेष रूप से चेतावनी दी है. सीबीएसई ने प्रवेश और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए स्कूल के समय के दौरान अपने परिसर में समानांतर कोचिंग सेंटर चलाने वाले कई स्कूलों के बारे में शिकायतें मिलने के बाद सीबीएसई ने सर्कुलर जारी किया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसानों के मुआवजा भुगतान में मिलीभगत से लाखों की वसूली के आरोपी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के सीनियर इंजीनियर संजय कुमार की दूसरी जमानत अर्जी भी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा याची के खिलाफ केस बनता है और सीबीआई ने षड्यंत्र के आरोप में उनके खिलाफ गाजियाबाद की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने दिया है. संजय कुमार की पहली जमानत अर्जी गत दो फरवरी को खारिज हुई थी. डिप्टी सॉलीसिटर जनरल व सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व अधिवक्ता संजय यादव ने जमानत अर्जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि जमानत पर छूटने के बाद याची साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकता है.
आठ जून 2022 से जेल में बंद याची का कहना था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है. किसानों का मुआवजा तय दर व स्वीकृत नीति के अनुसार उनके खाते में दिया गया है. किसानों के बैंक खाते से याची के खाते में कोई राशि नहीं आई है. याची की पत्नी के खाते में जो राशि आई है, वह बैनामा करने से प्राप्त हुई है. याची पर आरोप है कि 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के लिए किसानों की फसल व पेड़ों को हुए नुकसान का अधिक मुआवजा देकर उनसे धनराशि ली गई.