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AU News: ‘जाति देख नंबर देने’ का बयान पहुंचा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास, बोले प्रोफेसर- जान है खतरे में

इविवि के पूर्व एनएसयूआई इकाई अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी का कहना है कि प्रो डॉ विक्रम हरिजन के बयान को लेकर तोड़-मरोड़कर विश्वविद्यालय में जाति भेदभाव उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है.

Prayagraj News: इलाहाबाद विश्वविद्यालय (AU) के मध्यकालीन विभाग के प्रोफेसर विक्रम हरिजन के बयान ‘जाति विशेष विचारधारा से प्रभावित होकर’ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स द्वारा छात्रों को नंबर देने का विवाद एक बार फिर तूल पकड़ता नजर आ रहा है. इस संबंध में इविवि के पूर्व एनएसयूआई इकाई अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी का कहना है कि प्रो डॉ विक्रम हरिजन के बयान को लेकर तोड़-मरोड़कर विश्वविद्यालय में जाति भेदभाव उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है.

अभिषेक ने प्रोफेसर के बयान की जांच और बीते कुछ दिनों से विश्वविद्यालय में इस मुद्दे पर गलत तरीके से विरोध-प्रदर्शन की जांच को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलपति, राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. अभिषेक का कहना है कि विश्वविद्यालय में जातीय भेदभाव उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों पर मामले की जांच कर कारवाई की मांग की.

इस संबंध में प्रोफेसर डॉ विक्रम हरिजन ने प्रभात खबर को बताया की उन्होंने सन 2019 में दिए गए बयान में कहा था, ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जाति विशेष विचारधारा से प्रभावित होकर छात्रों को नंबर देते हैं.’ उन्होंने अपने कथन पर किसी जाति विशेष पर टिप्पणी नहीं की थी. तत्कालीन समय पर उनके इस बयान को गलत तरह से तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. उस समय उन्हें भीड़ द्वारा जान से मारने की कोशिश भी की गई थी.

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घटना को गंभीरता से लेते हुए उनकी सुरक्षा में तत्कालीन समय के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज द्वारा दो सुरक्षा गार्ड दिए गए है. प्रोफ़ेसर विक्रम हरिजन ने कहा कि उनकी जान को अब भी खतरा है. प्रशासन से वह सुरक्षा की मांग करते हैं. वहीं, मामले के एक बार फिर तूल पकड़ने के संबंध में उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से कोई छात्र एससी आयोग गया था. इसके बाद छात्र ने विश्वविद्यालय से संबंधित बयान के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इविवि प्रशासन ने आयोग को जवाब देने के बजाय मुझे ही नोटिस जारी कर बयान के संबंध में साक्ष्य तलब किया है. हालांकि, एससी आयोग जाने वाले छात्र के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब देने के लिए उन्होंने छात्र द्वारा आयोग को दी गई नोटिस और आयोग द्वारा विश्वविद्यालय को दी गई नोटिस की कॉपी मांगी है. 15 दिन गुजर जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें नोटिस उपलब्ध नहीं कराई गई है. इस संबंध में वह एससी आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात करने दिल्ली जा रहे हैं. वह मामले की जांच सीबीआई के कराने की मांग करेंगे. वहीं, इस संबंध में विश्वविद्यालय से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ.

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रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी

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