पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया. तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रस्ताव लाया गया, जिसे सदन ने ध्वनि मत से पारित कर दिया.
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प्रस्ताव में केंद्रीय जांच एजेंसियों मसलन सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है. प्रस्ताव को चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. चर्चा पर बहस के बाद विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि यदि केंद्रीय जांच एजेंसियां विधानसभा के किसी सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो उसे विधानसभा को बताना होगा.
विधानसभा को अंधेरे में रख कर किसी सदस्य के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी कार्रवाई नहीं कर सकती. गौरतलब है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इडी और सीबीआइ की ‘अति-सक्रियता’ की बार-बार आलोचना की है. हाल ही में सुश्री बनर्जी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त पत्र लिख कर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था.
राज्य विधानसभा के विशेष बजट सत्र के आखिरी दिन सोमवार को तृणमूल विधायक तापस राय ने नियम 185 के तहत प्रस्ताव पेश किया. चर्चा में हिस्सा लेते हुए राज्य के कृषि मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा कि देशभर में विपक्ष को घेरने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. देश निरंतर तानाशाही की ओर बढ़ रहा है.
इडी और सीबीआइ देशभर में विपक्षी नेताओं के घरों पर छापेमारी कर रही हैं. वित्त राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो तृणमूल नेताओं और पदाधिकारियों को चुनिंदा तरीके से लक्षित कर रहे हैं और भय का माहौल बना रहे हैं. उन्होंने कहा : उनका एकमात्र मकसद तृणमूल की छवि धूमिल करना है. भाजपा हमसे राजनीतिक रूप से नहीं लड़ सकती, इसलिए वह हमारे खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.
भाजपा ने यह दावा करते हुए सदन से बहिर्गमन किया कि प्रस्ताव पढ़े जाने के समय विधानसभा में उसके सदस्यों की उपस्थिति ‘भ्रष्टाचार के मामलों का समर्थन करने के समान’ होगी. संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा ने कहा कि आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा : हम बाहर चले गये, क्योंकि हमें लगता है कि वहां रहना, तृणमूल जो कह रही है, उसका समर्थन करने के बराबर है, जो झूठ के अलावा और कुछ नहीं है.