Amalaki Ekadashi 2022: होली से पहले बेहद महत्वपूर्ण एकादशी आती है, जिसे आमलकी एकादशी कहते हैं. आमलकी एकादशी को आंवला एकादशी या रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) भी कहते हैं. यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है.
आमलकी एकादशी प्रारंभ- 13 मार्च, दिन रविवार सुबह 10.21 बजे
आमलकी एकादशी समाप्त- 14 मार्च, दिन सोमवार दोपहर 12:05 बजे
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त आरंभ- 14 मार्च, दोपहर 12:07 मिनट – 12:45 मिनट
उदयातिथि के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा.
इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य के कार्य अवश्य करें.
एकादशी व्रत पर अगर संभव हो तो गंगा स्नान करें. इसे शुभ माना जाता है.
रात्रि में भागवत कथा और भजन-कीर्तन करते हुए श्री हरि विष्णु का पूजन करें.
आमलकी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए.
मान्यता है कि एकादशी के दिन ही ब्रह्मा जी के अश्रु श्रीहरि के चरणों में गिरकर आंवले के पेड़ में तब्दील हो गए थे. तब से इस एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में पूजा जाने लगा और इसमें नारायण की पूजा के साथ साथ आंवले के पेड़ का पूजन किया जाता है, साथ ही भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को आंवला अर्पित किया जाता है. इस दिन आंवले से जुड़े कुछ उपायों को करने से व्यक्ति को तमाम तरही की परेशानियों से छुटकारा मिलता है. आइए जानें.
अगर आप कोई विशेष मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं तो आंवला एकादशी के दिन नारायण की पूजा करें और अपनी मनोकामना को एक कागज पर लिखें. इसके बाद दो आंवले इस कागज पर रखें और प्रभु को समर्पित कर दें. इसके बाद प्रभु से अपनी कामना पूरी करने की प्रार्थना करें.
विपरीत परिस्थितियों को पक्ष में करने के लिए आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ पर जल दें. दीपक जलाएं और पेड़ की मिट्टी को अपने मस्तक पर लगा लें. साथ ही प्रभु से अपनी परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करें.
वैवाहिक जीवन आ रही समस्याओं को दूर करने और खुशियां बनाए रखने के लिए एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करें. इसके बाद पेड़ के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटें. पेड़ के पास दीपक जलाएं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए जीवन की समस्याओं को दूर की प्रार्थना करें.