धनबाद : धनबाद जेल के अंदर सुरक्षा का सारा सिस्टम ध्वस्त था. खासकर सुरक्षा को लेकर भारी लापरवाही बरती जा रही थी. बाहर से बंदियों को जा रहे सामान की जांच कागज पर ही हो रही थी. सामान जांच के लिए लगे स्कैनर मशीन का प्रयोग नहीं के बराबर हो रहा था. मुलाकातियों के लिए भी तय जेल मैनुअल का पालन नहीं हो रहा था. अगर सुरक्षा मानकों का पालन होता तो शायद जेल के अंदर अमन सिंह जैसे गैंगस्टर की हत्या नहीं होती. सूत्रों के अनुसार, तीन दिसंबर को धनबाद कारा में गैंगस्टर अमन सिंह हत्याकांड के बाद गठित तीन सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट में जेल की सुरक्षा में चूक को लेकर बरती गयी लापरवाही की चर्चा की है.
उपायुक्त वरुण रंजन द्वारा गठित जांच समिति में सिटी एसपी अजीत कुमार, अपर समाहर्ता बिनोद कुमार तथा एडीएम कमलाकांत गुप्ता शामिल थे. जांच टीम ने इस मामले को लेकर कई लोगों से पूछ-ताछ की. घटना के समय पदस्थापित जेल अधीक्षक मेनसन बरवा, जेलर मो मुस्तकीम अंसारी (फिलहाल दोनों निलंबित) के अलावा ड्यूटी पर तैनात कई कक्षपालों एवं संतरी का बयान दर्ज किया गया है. साथ ही सीसीटीवी फुटेज की जांच की गयी. कुछ बंदियों से भी पूछताछ की गयी है.
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जांच में यह बात सामने मुलाकातियों को सुविधा शुल्क लेकर अंदर जाने दिया जाता था. जेल मैनुअल का पालन नहीं हो रहा था. एक ही कर्मी गेट पर मुलाकाती से लेकर अंदर जा रहे सामान की जांच की जिम्मेदारी निभा रहा था. सूत्रों के अनुसार जांच टीम ने जेल के अंदर दो बड़े आधुनिक हथियार के जाने पर सवाल खड़ा किया है. अगर मेटल डिटेक्टर, स्कैनर का उपयोग होता तो शायद हथियार अंदर तक नहीं जा पाता. इस तरह की हत्याकांड को अंजाम देना मुश्किल होता.
जांच में धनबाद मंडल कारा के पूर्व अधीक्षक अजय कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है. घटना से छह दिन पहले ही अजय कुमार ने यहां से तबादला के बाद मेनसन बरवा को काराधीक्षक का प्रभार दिया था. पूर्व काराधीक्षक पर भी कार्रवाई हो सकती है. पूर्व जेल अधीक्षक अजय कुमार के कार्यकाल में ही 29 जुलाई 2022 को ही धनबाद जेल ब्रेक हुआ था.