अमन सिंह हत्याकांड: जांच करने पहुंची धनबाद पुलिस, घटनास्थल की हुई नापी
सूत्रों ने बताया कि मंडल कारा में कई ऐसे भी कर्मी हैं जो पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से यहां जमें हैं. उनके अंदर-बाहर आने के साथ ही उन्हें जेल की एक-एक जानकारी है. ऐसे में उन कर्मचारियों पर भी शक है.
धनबाद मंडल कारा में गैंगस्टर अमन सिंह के हत्या के बाद पुलिस की जांच लगातार चल रही है. सूत्रों ने बताया कि केस आइओ विनय कुमार शुक्रवार को दल-बल के साथ घटना स्थल पहुंचे. उन्होंने फीता से पूरे घटनास्थल की नापी की. देखा कि रितेश यादव उर्फ सुंदर यादव ने कितनी दूरी से गोली मारी है. मरने वाला किस दिशा में था, उस समय रितेश कहां था, फिर कैसे गोली मारी गयी. सभी पहलुओं की जांच कर दूरी नापी गयी. पूरे घटनास्थल की तस्वीर खिंच कर रखी गयी. घटनास्थल की जांच के बाद उन्होंने फिर से सीसीटीवी की फुटेज खंगाली. फुटेज में दिख रहे बंदियों की गतिविधियां नोट की.
गांधी, अमर व बजरंगी भी राडार पर
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना को अंजाम देने में सतीश कुमार उर्फ गांधी, विकास बजरंगी व अमर रवानी की गतिविधि संदिग्ध है. उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है. सूत्रों ने बताया की घटना के बाद हत्या में प्रयुक्त हथियार को गांधी व एक अन्य द्वारा बाहर फेंका गया. बाहर गांधी के किसी आदमी को हथियार वहां से गायब कर देना था. लेकिन किसी कारण से उसका आदमी नहीं पहुंच पाया. घटना के अगले दिन हथियार पुलिस के हाथ लग गयी. पुलिस ने बताया कि रितेश की रिमांड पूरी होने के बाद गांधी, अमर रवानी, बजरंगी व अन्य दो को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी.
क्रिकेट खेलते-खेलते बन गया अपराधी
यूपी से धनबाद पुलिस ने रितेश की कई तरह जानकारी जुटायी है. सूत्रों ने बताया कि रितेश अपने बचपन के दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता था. इसमें पंचायत समिति सदस्य जोगी, लव कुश व एक अन्य है. रितेश भी जोगी का शागिर्द रहा है. उसके लिए पहले भी काम करता रहा है. जोगी के कहने पर ही एक बार कार चालक को रोककर लूटा था. एक बार फायरिंग भी की थी.
आशीष व रिंकू हुए अंडर ग्राउंड
आशीष रंजन उर्फ छोटू व यूपी का अपराधी रिंकू की तलाश में पुलिस लगातार छापामारी कर रही है. स्पेशल टीम आशीष की गिरफ्तारी के लिए धनबाद के हीरापुर, बोकारो, सिवान के अलावा बिहार के कई जिलाें में कैंप कर छापामारी कर रही है. जबकि रिंकू की गिरफ्तारी के लिए एक टीम यूपी, दिल्ली व कोलकाता में छापामारी कर रही है.
मंडल कारा में कई कर्मी वर्षों से जमे हैं
सूत्रों ने बताया कि मंडल कारा में कई ऐसे भी कर्मी हैं जो पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से यहां जमें हैं. उनके अंदर-बाहर आने के साथ ही उन्हें जेल की एक-एक जानकारी है. ऐसे में उन कर्मचारियों पर भी शक है. धनबाद जेल के अंदर जिस तरह से दो-दो पिस्टल चले गये और किसी को पता नहीं चला, इसमें किस कर्मी का हाथ है उसकी भी जांच की जा रही है.
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