अभिनेता अमित साध का कहना है कि कलाकारों को स्वीकार या अस्वीकार करने की शक्ति हमेशा से ही दर्शकों के पास रही है, लेकिन फिल्मों की तुलना में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म (ओटीटी) पर उनके पास यह अधिकार ज्यादा होते हैं. अमित साध ने कहा कि कलाकारों के लिए फिल्मों की तुलना में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म (ओटीटी) पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करना कठिन होता है.
अमित साध को “काई पो चे!”, “सुल्तान”, “गोल्ड”, “सुपर 30”, और “शकुंतला देवी” जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय के लिए जाना जाता है. अमित साध ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ फिल्मों का अपना अलग प्रभाव होता है, आप एक अंधेरे कमरे (सिनेमाघर) में जाते हैं, आप कुछ देखने के लिए टिकट लेते हैं, और यदि आपको यह पसंद नहीं है, तो इसके बावजूद आप इसे देखते रहेंगे.”
अभिनेता ने कहा, ‘‘ लेकिन, ओटीटी एक पर्सनल स्पेस है. आप इसे अपनी मर्जी से अकेले देखते हैं. मुझे बुरा लगेगा अगर मेरा सीन प्ले होने पर उसे कोई बदलेगा या रोक देगा. लेकिन यही ओटीटी की ताकत है. यह एक चुनौतीपूर्ण माध्यम है. ”
अमित साध ने कहा कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के फायदे भी हैं, विशेष रूप से रचनात्मक लोगों के लिए जो अद्वितीय सामग्री की खोज करना पसंद करते हैं. अमित साध हाल ही में वेब सीरीज “ब्रीद: इनटू द शैडोज़” के दूसरे सीजन में नजर आए थे, जो नौ नवंबर को प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई थी.
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गौरतलब है कि अमित साध को काई पो चे (2013), कॉमेडी गुड्डू रंगीला (2015) और राजनीतिक थ्रिलर सरकार 3 (2017) जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है. उन्होंने स्टार प्लस के नाटक क्यूं होता है प्यार से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी और बाद में टेलीविजन रियलिटी शो बिग बॉस (हिंदी सीजन 1) में दिखाई दिए थे. उन्होंने सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित शोबना देसाई के सोप ओपेरा दुर्गेश नंदिनी में एक वकील क्षितिज की भूमिका भी निभाई है.
पीटीआई भाषा से इनपुट