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Amit Shah: गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ कैंप में रोपा 4 करोड़वां पौधा, कहा सीएपीएफ के लिये यह गर्व का समय

चार करोड़ पौधे लगाकर असंभव से दिखने वाले काम को संभव करने का काम हमेशा की तरह सीएपीएफ के सभी जवानों ने किया है. उनके परिवारजनों ने इसको एक चैलेंज के नाते लिया. कार्यक्रम को मन से लगाया. वृक्ष को अपना दोस्त माना और इसको ढंग से बड़ा करने के लिए अपने समय में से समय निकाला.

नोएडा: गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नोएडा के सीआरपीएफ सेंटर में थे. मौका था गृह मंत्रालय के ‘अखिल भारतीय वृक्षारोपण अभियान’ एवं CRPF की विभिन्न योजनाओं के ई-लोकार्पण का. इस मौके पर गृह मंत्री ने सीआरपीएफ सेंटर में पीपल का पौधा लगाया. उन्होंने कहा कि आज मुझे बहुत आनंद है कि चार करोड़ पौधा, वह भी पीपल का मैंने लगाया है. आज इस धरती को हरी-भरी करने के लिए हमारे योगदान के लिए हमेशा देश में हमें याद किया जाएगा.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीआरपीएफ और मेरे लिए भी आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. तीन साल पहले हमने तय किया था की दिसंबर 2023 के पहले हम 5 करोड़ वृक्ष लगाएंगे. इनको संभालेंगे और गैप फिलिंग करके उनको अपने सर से बड़ा करके दुनिया को समर्पित करेंगे. जब कहा था तब काफी सारे लोगों को लगता था कि यह कैसे होगा, यह जोश में दिया गया लक्ष्य है, हो पाएगा नहीं हो पाएगा. मैं मंत्री था मेरे सामने तो कोई नहीं बोलता था, लेकिन मेरे पीछे बात जरूर होती थी, यह कैसे संभव होगा. मगर आज मुझे भरोसा है कि दिसंबर तक 5 करोड़ पौध रोपण क्रॉस हो जाएगा.

अमित शाह ने कहा कि चार करोड़ पौधे लगाकर असंभव से दिखने वाले काम को संभव करने का काम हमेशा की तरह सीआरपीएफ के सभी जवानों ने किया है. उनके परिवारजनों ने इसको एक चैलेंज के नाते लिया. कार्यक्रम को मन से लगाया. वृक्ष को अपना दोस्त माना और इसको ढंग से बड़ा करने के लिए अपने समय में से समय निकाला. इस प्रकार की एक ‘लिगेसी’ नए प्रकार का संदेश आज सीआरपीएफ ने छोड़ा है. इस वर्ष एक करोड़ 50 लाख पौधों का रोपण करना है.

4 करोड़ पौधे हम लगा चुके हैं. मुझे पूरा भरोसा है 5 करोड़ का लक्ष्य हम जल्द ही पूरा कर लेंगे. आने वाले समय में गैपिंग को पूरा करके 5 करोड़ वृक्ष इस पृथ्वी पर हमारे योगदान के नाते खड़े करेंगे. जो सालों तक जिएंगे और सीआरपीएफ की वीरगाथा के साथ-साथ सीआरपीएफ की पृथ्वी का संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी संवेदना पर्यावरण के प्रति अपनी संवेदना की गाथा भी हमेशा के लिए अमर हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि परमवीर चक्र विजेता ले.कर्नल एबी तारापोर का का जन्मदिन है. शहीद ले. कर्नल तारापोर इस देश की रक्षा के लिए न केवल सर्वोच्च बलिदान दिया, बल्कि अपनी वीरता से इतने बड़े पद पर रहते हुए मोर्चे की प्रथम पंक्ति में रहकर सबकी हौसला अफजाई कैसे कर सकते हैं, इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया. भारत की जनता ने भारत की सरकार ने उनको हमारा सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया है. भारत सरकार ने अंडमान निकोबार में एक द्वीप को ले.कर्नल एबी तारापोर का नाम देकर हमेशा के लिये लोगों की स्मृति में जीवित रखने का काम किया है. मैं उनको मन से श्रद्धांजलि देना चाहता हूं.

गृह मंत्री ने कहा कि यह वृक्षारोपण का अभियान एक महाकुंभ की तरह है. कुंभ इस देश की एकता और एकात्मता के लिये, हमारी संस्कृति को, हमारी धरोहर को हमेशा युवा रखने के लिए और ढेर सारे युवाओं में संस्कृति का आगे ले जाने के संदेशवाहक बनाने के लिए एक बहुत बड़ा आयोजन होता है. हर 12 साल में होता है.

इसी तरह से एक वृक्षारोपण का पांच कारण के लक्ष्य का अभियान पर्यावरण संरक्षण का एक महाकुंभ है. एक ओर सीएपीएफ के जवानों ने अपनी वीरता बलिदान त्याग और परिश्रम से देश की अंतरिक्ष सुरक्षा में सीमा की सुरक्षा में उसको चाक चौबंद रखने में कई रिकॉर्ड सृजित किये हैं. उसके साथ-साथ चाहे कोई बड़ी आपदा आई हो या करोड़ों जैसी महामारी हमारे सीएपीएफ अपने हमेशा अपने जान की परवाह करें बगैर देश की जनता के हर संकट में खड़ा रहने का जज्बा भी दिखाया है.

आज हमारी सीएपीएफ ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम के माध्यम से देश की सीमा पर स्थित हमारे प्रथम गांवों में जनसेवा और जन सुविधा, दोनों विषयों को जमीन पर उतारने का कार्य कर रही है. चौधा डायमेंशन इसके साथ जुड़ा है कि सीएपीएफ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील तरीके से सातत्यपूर्ण एक के बाद एक वर्ष हमेशा परिश्रम करके चार करोड़ वृक्ष को बड़ा करने का काम कर चुकी है. दिसंबर तक मुझे विश्वास है हम 5 करोड़ तक पहुंच जाएंगे. यह विश्व के इतिहास में किसी भी रक्षा के काम के साथ जुड़ी हुई एजेंसियों का पर्यावरण संरक्षण में सबसे बड़ा प्रयास माना जाएगा.

पांच करोड़ वृक्ष हमारे सीएपीएफ ने लगाए हैं. जब 2020 में जब पहली बार बैठक में गृह मंत्रालय समिति रूम में जब इसका विचार रखा था. तब मेरे अलावा कोई नहीं मानता था. सभी लोग मानते थे कि फोटो हो जाएगा, मिनट्स सृजित हो जाएंगे, प्रेस नोट चले जाएंगे और वृक्ष तो लगते रहते हैं. मगर मैं भी आपके पीछे लगा, आप भी जवानों के पीछे लगे, जवान भी पौधों के पीछे लगे और चार करोड़ का लक्ष्य हमने पा लिया.

गृह मंत्रालय के सभी अधिकारियों ने कई स्तर पर इसके निगरानी की जितने भी डीजी आये, उन्होंने यह कार्यक्रम को अपना कार्यक्रम माना. प्लाटून और सेक्शन लेवल पर इस कार्यक्रम को मन से अपनाया गया .कई जगह पौधों की रक्षा के लिए रक्षक बाढ़ और पिंजरे भी लगाए गए और ट्रेंच बनाकर भी पौधों को जिंदा रखने की नई-नई पद्धतियों का निर्माण किया. परिणाम यह है कि आज 4 करोड़ वृक्ष इस धरती को हरा भरा कर रहे हैं. जब हम एक वृक्ष को लगाते हैं तब कई सालों तक हम नई पीढ़ी को आक्सीजन देने की व्यवस्था करते हैं.

जिस तरह का पॉल्यूशन हम जनरेट कर रहे हैं, उससे ओजोन लेयर में एक छेद बन रहा है. यह जो छेद बन रहा है वह बहुत बड़ा होने के बाद यह पृथ्वी सूर्य के किरणों को सीधा झेल नहीं पाती, जो उसका तापमान बढ़ेगा वह पृथ्वी को मानव जीवन के लिए सुरक्षित नहीं रखेगा. उसको बचाने का एकमात्र रास्ता है, हम ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाएं और कम से कम कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करें.

हमने इस अभियान में जो वृक्षों का चयन किया है उसको भी मैंने स्वयं ग्लोबल वार्मिंग की रक्षा के लिए किस प्रकार के वृक्ष लगाने चाहिए, इसका रिसर्च करा कर किया है. वृक्ष लगाने में हमने दो प्रकार की चीजों का ख्याल रखा है. एक तो वृक्ष लंबे वाले हो 10-12 साल में इसका आयु समाप्त न होता हो. 50 साल 75 साल 100 साल 200 साल आयु वाले वृक्ष लगाएं हैं. सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले वृक्ष लगाएं. हमने पीपल, बरगद, जामुन, नीम इस प्रकार के लंबे आयु वाले वृक्षों को लगाया है.

यह सभी वृक्ष शत प्रतिशत से लेकर 60-70 प्रतिशत तक ऑक्सीजन उत्सर्जन का कार्य करते हैं. शास्त्रों में भी ओजोन लेयर को बचाने के लिए वृक्ष की महिमा को गाने का काम किया है. पीपल शत प्रतिशत ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष है. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गीता में कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं. यह जो वृक्ष हमने लगाए हैं, वह वृक्ष अनेक सालों तक पृथ्वी की संरक्षण करने का काम करेंगे.

पीएम मोदी ने भारत को कई क्षेत्रों में विकसित और आत्मनिर्भर करके दुनिया में भारत का स्थान मजबूत किया है. लेकिन सबसे बड़ा काम किया है जो हमारे पुरखों की धरोहर है. हमारी संस्कृति हमेशा से पर्यावरण सुरक्षा के साथ लगी रही. और हमने भावना से भी हमेशा पर्यावरण की सुरक्षा का काम किया है. धर्म ने भी पर्यावरण को तवज्जो दी. कोई भी बिल्डिंग बनाते हैं भूमि पूजन करते हैं तो वहां शांति मंत्र बोला जाता है. शांति मंत्र में पशुओं से लेकर वनस्पति से लेकर औषधि से लेकर मानव से लेकर अंतरिक्ष तक की शांति की चिंता की जाती है.

भूमि के अंदर जो गड्ढा कर रहे हैं उससे पर्यावरण का जो नुकसान हो रहा है, इससे गायों के मन में जाते हुए वृक्षों के मन में भी शांति हो वनस्पति के मन में भी शांति हो पशुओं के मन में भी शांति हो अंतरिक्ष में भी शांति हो, ऐसा काम मैं हमेशा करूंगा, यह संकल्प हमारे हाथ से लिया जाता है. यह जो पर्यावरण की चिंता हजारों साल से चिंता कर रहे हैं मोदी जी ने क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में ग्रीन इनिशिएटिव के माध्यम से समग्र दुनिया में यह लड़ाई का मुखिया भारत को बनाने का काम किया है.

इसीलिए G20 का एक सूत्र वसुदेव कुटुंबकम एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य दिया गया है. हमने फ्रांस के साथ इंटरनेशनल सोलर अलायंस की शुरुआत की. एक सूर्य एक दुनिया एक ग्रिड परियोजना की शुरुआत की. शुरू में विकसित देश कुछ अचंभे से, कुछ मजाक से इस अभियान को देख रहे थे. मुझे आनंद और संतुष्टि है कि मखौल उड़ाने वाले सारे लोग आज सोलर अलायंस के मेंबर बनकर इसमें सहयोग कर रहे हैं. यह भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है.

पर्यावरण के प्रति सजग जीवन शैली के माध्यम से मोदी जी ने हमारी पारंपरिक जीवन पद्धति को दुनिया के सामने फिर से एक बार उजागर किया है. सालों पहले गुलामी के कालखंड में जिसका मजाक उड़ाया जाता था, वह हमारी पारंपरिक जीवन शैली ही पृथ्वी को बचाने का साधन बन सकती है. लाइफ स्टाइल फॉर इंवायरमेंट और लाइफ मिशन पूरी दुनिया इसका अनुसरण कर रही हैु. इसी इनिशिएटिव के कारण पीएम मोदी को ‘चैंपियन ऑफ अर्थ’ के सम्मान से सम्मानित किया है.

सिंगल यूज प्लास्टिक पर आज की जरूरत को ज्यादा डिस्टर्ब किए बगैर कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक को कम किया जा सकता है, इसकी नई पद्धतियां भी भारत में खोजी हैं. स्वच्छता अभियान चला कर पर्यावरण की सुरक्षा में एक बड़ा कदम उठा है. पहले देश में 39% घरों में टॉयलेट थे आज 99.9% घरों में टॉयलेट है, यह हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में बहुत बड़ी उपलब्धि है.

पंचामृत नेट जीरो कार्बन मिशन, अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन, 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग, बायोगैस को बायो फ्यूल बनाने के लिए 12 आधुनिक रिफाइनरी का निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन यह सारे इनीशिएटिव आज विश्व उत्सुकता से देख भी रहा है और इसको स्वीकार भी कर रहा है. पर्यावरण के विषय में आठ महत्वपूर्ण मिशन नेशनल सोलर मिशन नेशनल मिशन फॉर एनहांस एनर्जी एफिशिएंसी, नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल हैबिटेट, नेशनल वाटर मिशन नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया, नेशनल हिमालय इकोसिस्टम, नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, नेशनल मिशन ऑन स्ट्रैटेजिक नॉलेज फॉर क्लाइमेट चेंज.

इन आठ इनीशिएटिव ने एक नए तरीके से सालों से जो हमारी, युगों से जो हमारी धरोहर थी पर्यावरण की सुरक्षा, उसको समग्र विश्व के सामने सामने नए सिरे से प्रस्तावित करने का काम देश के प्रधानमंत्री मोदी ने किया है. मुझे आज बड़ा आनंद है हमारे सीएपीएफ ने भी इस अभियान के हिस्से के रूप में चार करोड़ वृक्ष लगाए हैं. जिस दिन 5 करोड़ वक्त लग जाएंगे, हम गौरव के साथ अपनी संवेदनशीलता को समग्र देश के सामने रख पाएंगे कि सीएपीएफ सिर्फ आपके जीवन की सुरक्षा के लिए नहीं है. पर्यावरण की सुरक्षा करके आपके अच्छे जीवन के लिए भी सीएपीएफ बहुत अच्छे तरीके से काम करता है.

सीएपीएफ के छोटे-छोटे अधिकारी से लेकर बैठे हुए सभी डीजी तक, गृह सचिव तक पूरे, गृह मंत्रालय के सभी कर्मचारी अधिकारी और विशेष कर जवान भाइयों-बहनों को बहुत हृदय से अभिनंदन देना चाहता हूं और साधुवाद देना चाहता हूं कि आज असंभव लग रहे जैसे मिशन को अपने यहां पर पूरा किया है. मुझे भरोसा है कि 5 करोड़ वृक्ष हम संभालेंगे भी, बड़े भी करेंगे और वृक्षारोपण के कार्यक्रम को हमेशा के लिए सीएपीएफ देश की सुरक्षा और वीरता को आपने अपना स्वभाव बनाया है, इसी तरह से पर्यावरण की सुरक्षा को भी आप अपना स्वभाव बनाएंगे. मुझे इसका बहुत विश्वास और आनंद भी है.

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