काशी में आयोजित राजभाषा सम्मेलन में अमित शाह बोले- ‘मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी पसंद है’

अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गुजराती से ज्यादा हिंदी पसंद है. हमें राष्ट्रभाषा को सशक्त बनाने की आवश्यकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 13, 2021 12:35 PM
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Amit Shah Varanasi Visit: शिव की नगरी वाराणसी में दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में शिरकत की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मलेन का उद्घाटन किया. इस दौरान अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें गुजराती से ज्यादा हिंदी पसंद है. हमें राष्ट्रभाषा को सशक्त बनाने की आवश्यकता है.

अपने संबोधन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि काशी भाषा के उपासकों का रहा है. यहां विद्या प्राप्त करने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं. आज उसी जगह पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. आज हमारे लिए संकल्प लेने का वक्त है, जब आजादी के 100 साल होंगे तो हमारी हिंदी भाषा का गौरव कहां होगा. अमित शाह ने जिक्र किया कि भारत को स्वराज तो मिल गया स्वभाषा (हिंदी) पीछे छूट गई है. हमें हिंदी को सशक्त बनाना होगा.

अपने बच्चे से हिंदी में बात करें. इसमें संकोच नहीं करना चाहिए. हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है.

अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि काशी से ही शिक्षा की भाषा हिंदी में करने की मांग पहली बार उठी थी. अंग्रेजी सरकार ने उर्दू की जगह हिंदी को नौकरी के लिए चयनित किया. काशी नागरी सभा ने हिंदी शब्दकोष बनाने की तरफ कदम बढ़ाए थे. काशी में कामता प्रसाद गुरु ने पहला व्याकरण लिखा और पहला शब्दकोष भी यहीं बना. रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य की रचना काशी में की थी. काशी की धरती से पहली हिंदी पत्रिका और हिंदी थियेटर की शुरुआत हुई. भाषा तो बन गई और साहित्य तो रचा जाने लगा. हिंदी की पढ़ाई कैसे हो. इसकी चिंता मदन मोहन मालवीय ने की और बीएचयू की स्थापना की.

राजभाषा सम्मेलन में अमित शाह ने रामचरितमानस का जिक्र किया. उन्होंने कहा तुलसीदास ने अवधी में रामायण लिखी है. यह मानव जीवन को उन्नत बनाने का रास्ता है. एक आदर्श पिता, पुत्र, बहू, शासन का जिक्र रामायण में है. रामायण में आदर्श दुश्मन का जिक्र भी किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हिंदी को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का काम किया है. हमारी सरकार की कोशिश है कि हिंदी को जन-जन की भाषा बनाई जाए. इस लक्ष्य में हमें सफलता भी मिल रही है.

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