अमिताभ बच्चन के जन्म पर उनके पिता ने लिखी थी ये खास कविता, तेजी बच्चन को देर रात कही थी ये बात
80saalbemisaalbachchan हरिवंश राय बच्चन ने इसका जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है. अमिताभ बच्चन के जन्म के बाद उन्होंने ये कविता लिखी थी, ''फुल्ल कमल , गोद नवल , मोद नवल , गेह में विनोद नवल.
80 saal bemisaal bachchan महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) 11 Harivansh Rai Bachchanअक्टूबर को अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं. वे दिग्गज कवि व लेखक रहे हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) के बेटे हैं. बिग बी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. हाल ही में गुडबॉय के प्रमोशन के दौरान उन्होंने अपने पिता को याद किया. अमिताभ बच्चन ने कहा कि उन्हें अपने पिता की कमी आज भी सबसे ज्यादा खलती है. वे अक्सर अपनी पिता की याद में ब्लॉग और उनकी लिखी हुई कविताएं साझा करते रहते हैं. दोनों के बीच हमेशा ही एक अनूठा रिश्ता रहा. हरिवंश राय बच्चन ने अपने बेटे के जन्म के समय एक कविता लिखी थी जो बेहद खास थी.
हरिवंश राय बच्चन ने लिखी थी ये कविता
हरिवंश राय बच्चन ने इसका जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है. अमिताभ बच्चन के जन्म के बाद उन्होंने ये कविता लिखी थी, ”फुल्ल कमल , गोद नवल , मोद नवल , गेह में विनोद नवल. बाल नवल, लाल नवल, दीवक में ज्वाल नवल. नवल दृश्य , नवल दृष्टि , जीवन का नव भविष्य , जीवन की नवल सृष्टि.”
हरिवंश राय बच्चन ने देखा था विचित्र सपना
हरिवंश राय बच्चन अपनी आत्मकथा में लिखा है,” मैंने एक विचित्र स्वप्न देखा. पूजा की कोठरी में बैठे मेरे पिता आंखों में चश्मा लगाये रामचरितमानस की पोथी खोले मानस पारायण के पांचवें विश्राम का पाठ कर रहे हैं. जिसमें वो प्रसंग है कि ”मनु अपनी अर्धांगिनी शतरूपा के साथ तपस्या कर रहे हैं. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु उन्हें वरदान मांगने के लिए कहते हैं.” मैं और तेजी पूजा कोठरी के बाहर बैठकर सबकुछ सुन रहे थे.
Also Read: अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या ने क्यों खुद को सबके सामने कहा ‘बदसूरत’, बताया जया से जुड़ा ये मजेदार किस्सा
पिताजी बेटे के रूप में वापस आ रहे हैं
हरिवंश राय बच्चन सपना देख रहे थे कि अचानक उन्हें तेजी बच्चन ने उन्हें जगाया और कहा कि उन्हें पेट में पीड़ा शुरू हो गई है. वे लिखते हैं कि, सपना इतना स्पष्ट था कि वो तेजी को बिना बताए रह नहीं पाये. अधजागे-अधसोए अवस्था में उनके मुंह से निकला- ”तेजी तुम्हारे लड़का ही होगा और उसके रूप में मेरे पिताजी की आत्मा आ रही है. इसका मनोवैज्ञानिक समाधान यह हो सकता है कि उस दिन मुझे अपने पिता की बहुत याद आ रही थी.”