Amitabh Bachchan in Politics: बॉलीवुड के शहंशाह. सदी के महानायक. एंग्री यंगमैन. बिग बी. हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन (Happy Birthday Amitabh Bachchan) को ऐसे कई नामों से जाना जाता है. हिंदी सिनेमा में लंबी पारी खेलने वाले बेमिसाल बच्चन (#80saalbemisaalbachchan) ने राजनीति में भी भाग्य आजमाया था. हालांकि, राजनीति में वह फिल्मों की तरह लंबी पारी नहीं खेल पाये. जल्द ही राजनीति से उनका मोह भंग हो गया और उन्होंने पॉलिटिक्स को गुड बाय (Good Bye) कह दिया. बाद में उनकी पत्नी जया बच्चन (Jaya Bachchan) कई बार राज्यसभा की सांसद बनीं, लेकिन बिग बी ने राजनीति की ओर मुड़कर भी नहीं देखा. फिर कभी राजनीति में नहीं लौटे.
अमिताभ बच्चन ने अपने बचपन के दोस्त राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के कहने पर राजनीति में कदम रखा था. वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तो राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनना पड़ा. राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन भी राजनीति (Amitabh Bachchan in Politics) में आये. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemvati Nandan Bahuguna) के खिलाफ इलाहाबाद से लोकसभा (Allahabad Lok Sabha Seat) सीट के लिए पर्चा भरा. हेमवती नंदन बहुगुणा और उनके समर्थक नचनिया कहकर अमिताभ बच्चन का मजाक उड़ाते थे.
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हेमवती नंदन बहुगुणा उस समय उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता थे. उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी. लेकिन, इंदिरा गांधी की हत्या (Indira Gandhi Murder) के बाद कांग्रेस के प्रति उपजी सहानुभूति और अमिताभ बच्चन के स्टारडम के आगे बहुगुणा की लोकप्रियता टिक न सकी. हेमवती नंदन बहुगुणा को अमिताभ बच्चन ने बहुत बड़े अंतर से पराजित कर दिया. दोस्त की खातिर राजनीति के मैदान में उतरे अमिताभ बच्चन का बहुत जल्द राजनीति से मोहभंग हो गया.
तीन साल बाद ही उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया. इसके बाद उन्होंने कभी राजनीति में कदम नहीं रखा. कहते हैं कि जिस राजीव गांधी की वजह से अमिताभ बच्चन ने राजनीति में कदम रखा था, उनकी वजह से ही बिग बी को राजनीति से संन्यास भी लेना पड़ा. दरअसल, बोफोर्स घोटाला ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस घोटाला में अमिताभ बच्चन का भी नाम आया था. यही बोफोर्स घोटाला (Bofors Scam) अमिताभ बच्चन के राजनीति से संन्यास लेने का कारण बना.
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हर दिन अखबारों में बोफोर्स घोटाला की खबरें प्रमुखता से छपतीं थीं. एक दिन हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) ने अमिताभ से पूछ लिया कि बेटा, तुम कुछ गलत काम तो नहीं कर रहे? बाबूजी के इस सवाल ने अमिताभ बच्चन को बेचैन कर दिया. इसके बाद ही उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की सोची. अमिताभ बच्चन ने एक बार खुद कहा था, ‘मैंने सोचा कि अगर बाबूजी को ऐसा लगता है, तो देश के अन्य लोगों को भी ऐसा ही लगता होगा.’ इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी.
बता दें कि 1987 में बोफोर्स घोटाला सामने आया था. इसके बाद अमिताभ बच्चन की छवि धूमिल होने लगी. उन्हें ‘बोफोर्स दलाल’ तक कहा जाने लगा. इसने हरिवंश राय बच्चन को काफी परेशान किया. तब अमिताभ ने तय किया कि उन्हें इसके खिलाफ लड़ना चाहिए. अमिताभ ने कांग्रेस और संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. 25 साल के बाद बोफोर्स मामले में अमिताभ बच्चन को क्लीन चिट मिली. इसमें कहा गया कि अमिताभ बच्चन का नाम जान-बूझकर बोफोर्स घोटाला में डाला गया.
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अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि राजनीति में उतरना उनकी सबसे बड़ी भूल थी. बोफोर्स मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद बिग बी ने ब्लॉग लिखा था, ‘घटना के 25 साल बाद मैं अपना निजी अनुभव बताता हूं. आज ही पढ़ा कि मामले के प्रमुख जांचकर्ता ने मुझे बेकसूर करार दिया है. उस गलती के लिए, जो मैंने कभी की ही नहीं. वो जो शायद हमेशा मेरी जिंदगी पर बदनुमा दाग था. शायद आगे भी रहेगा. इस इल्जाम की वजह से मैंने जितने घंटे, दिन महीने और साल तकलीफ में गुजारे, उसका कोई भी इंसान अंदाजा नहीं लगा सकता. लेकिन, क्या इससे किसी को कोई फर्क पड़ता है, शायद नहीं.’
कांग्रेस पार्टी से राजनीति में एंट्री करने वाले अमिताभ बच्चन समाजवादी पार्टी के भी बेहद करीब रहे. हालांकि, उन्होंने समाजवादी पार्टी की राजनीति कभी नहीं की. अमर सिंह की वजह से उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के लिए कई विज्ञापन किये. अमर सिंह ने ही जया बच्चन को राजनीति में सक्रिय किया और मुलायम सिंह यादव से कहकर उन्हें राज्यसभा भिजवाया. जया बच्चन उच्च सदन में समाजवादी पार्टी की मुखर नेता बनकर उभरीं थीं.