Amrish Puri Death Anniversary: हीरो बनने आए थे अमरीश पुरी… लेकिन बन गए खतरनाक विलेन, जानें ये मजेदार किस्सा
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमरीश पुरी की आज 19वीं पुण्यतिथि है. भारी आवाज और दमदार लुक की वजह से उन्हें 'विलेन का शहंशाह' कहा जाता है. वह एक एक ऐसे कलाकार थे, जो कॉमिक, विलेन, हर तरह के कैरेक्टर को बड़े ही बखूबी तरीके से निभाते थे और अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करते थे.
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमरीश पुरी अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. हिंदी सिनेमा में उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया है. भारी आवाज और दमदार लुक की वजह से उन्हें ‘विलेन का शहंशाह’ भी कहा जाता है. वह एक एक ऐसे कलाकार थे, जो कॉमिक, विलेन, हर तरह के कैरेक्टर को बड़े ही बखूबी तरीके से निभाते थे और अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करते थे. उनकी आवाज की खनक उनके गुजर जाने के बाद भी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. अमरीश पुरी अब तक बेस्ट विलेन कैटेगरी के लिए सबसे ज्यादा बार नॉमिनेट होने वाले एक्टर हैं. आज उनकी 19वीं पुण्यतिथि पर जानें उनके बारे में कुछ ऐसी बातें जो शायद ही किसी को पता होंगी…
अपने पहले ऑडिशन में अपनी डरावनी आवाज के लिए हुए थे रिजेक्ट…
अमरीश पुरी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब वो 21 साल के थे तब उन्हें उनकी पहली स्क्रीनिंग में डरावनी आवाज के लिए रिजेक्ट कर दिया गया था और साथ ही उन्हें ये भी कहा गया था कि उनका चेहरा हीरो बनने के लायक नहीं है, क्योंकि बाकी एक्टर्स की तरह उनका चेहरा मासूम नहीं था. इन बातों को सुनकर वह बुरी तरह टूट गए थे. हालांकि बाद में उन्हें ये बात समझ में आई कि जबरदस्त एक्टिंग करने के लिए सिर्फ शक्ल ही जरूरी नहीं है. उन्होंने अपनी स्कील्स पर काम करना शुरू किया और कमजोरी को ताकत बना लिया. फिर क्या था एक्टर को विलेन का रोल ऑफर हुआ. जहां उनकी किस्मत रातों-रात चमक गई. अमरीश पुरी को पहला ब्रेक 40 साल की उम्र में 1970 की फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ में मिली, जहां उन्होंने एक गुर्गे का किरदार निभाया था. विलेन के रूप में उन्हें पहला ब्रेक 1980 में फिल्म ‘हम पांच’ में मिला. उनके प्रदर्शन को दर्शकों ने खूब सराहा और फिर मिस्टर इंडिया में ‘मोगैम्बो’, विधाता में ‘जगावर’, मेरी जंग में ‘ठकराल’, त्रिदेव में ‘भुजंग’, घायल में ‘बलवंत राय’ जैसे कैरेक्टर्स मिले.
एक्टिंग से पहले सरकारी नौकरी करते थे अमरीश पुरी
अमरीश पुरी साल 1950 के दौरान बॉलीवुड में एंट्री लेने के लिए मुंबई आए थे, लेकिन बार-बार रिजेक्ट होने के बाद उन्हें एम्पलाइज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन में क्लर्क की नौकरी मिल गई. जहां पर उन्होंने करीब 21 साल तक काम किया था. इस दौरान भी वो कई बार बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने जाते थे, लेकिन बार-बार उन्हें निराशा हाथ लगी. एक लंबे स्ट्रगल के बाद 40 साल की उम्र में दिवंगत एक्टर ने बॉलीवुड में एंट्री मारी. बाद में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
अपने आइकॉनिक डायलॉग्स के लिए मशहूर थे अमरीश पुरी
अमरीश पुरी यूं तो अपनी एक्टिंग और दमदार आवाज के लिए हमेशा मशहूर रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही उनके कई डायलॉग्स भी हैं, जिन्हें लोग आज तक बोलना पसंद करते हैं. इनमें ”मोगैंबो खुश हुआ”, ”जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी”, ”आओ कभी हवेली पर”, ”इतने टुकड़े करूंगा की तू पहचाना नहीं जाएगा” शामिल है. इन डायलॉग्स को उनके चाहने वाले आज भी याद करते हैं और ये सदाबहार रहेंगे.
अमरीश पुरी की फिल्में
अमरीश पुरी ने अपने बेहतरीन करियर में 450 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है. जिनमें हिंदी, पंजाबी, तेलुगू और मराठी फिल्में शामिल हैं. अमरीश पुरी की कई फिल्में आइकॉनिक भी रही हैं. जिसे आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं. ‘तहलका’, ‘करण अर्जुन’, ‘कालापनी’, ‘विधाता’, ‘नगीना’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘राम लखन’, ‘घायल’, ‘नायक’ , ‘गदर एक प्रेम कथा’ लिस्ट में शामिल है. गदर में अशरफ अली बनकर उन्होंने काफी पॉपुलैरिटी हासिल की थी. जब गदर 2 रिलीज हुई थी, तो उनके किरदार को फैंस ने काफी ज्यादा मिस किया था.
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कैसे हुई थी अमरीश पुरी की मौत
अमरीश पुरी माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम से पीड़ित थे. 27 दिसंबर 2004 को हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उनके माथे की सर्जरी की गई थी. हालांकि इसके बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ. जिसके बाद 12 जनवरी 2005 को पहले वह कोमा में गए बाद में ब्रेन हैमरेज की वजह से उनकी मौत हो गई. इस खबर से बॉलीवुड इंडस्ट्री में सन्नाटा पसर गया था.