UP News: एएमयू की प्रोफेसर आजरमी दुख्त सफवी ईरान के प्रतिष्ठित ‘फराबी पुरस्कार’ से सम्मानित

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी अनुसंधान संस्थान की संस्थापक और पूर्व निदेशक प्रो. आज़रमी दुख्त सफवी को फारसी भाषा और साहित्य में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए ईरान के अंतर्राष्ट्रीय और प्रतिष्ठित ‘फराबी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 27, 2023 6:52 AM
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अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी अनुसंधान संस्थान की संस्थापक और पूर्व निदेशक प्रो. आज़रमी दुख्त सफवी को फारसी भाषा और साहित्य में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए ईरान के अंतर्राष्ट्रीय और प्रतिष्ठित ‘फराबी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. प्रोफेसर सफवी को यह पुरस्कार तेहरान में आयोजित एक भव्य समारोह में ईरानी संसद के पूर्व अध्यक्ष और इस्लामी गणतंत्र ईरान के उपराष्ट्रपति डॉ. गुलाम अली हद्दाद अदेल द्वारा ईरान में भारतीय राजदूत रूद्र गौरव श्रेष्ठ की उपस्थिति में प्रदान किया गया.

इस पुरस्कार में प्रोफेसर सफवी की सेवाओं के दृष्टिगत एक प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया. डॉ. हद्दाद आदिल ने इस अवसर पर कहा कि फारसी साहित्य के लिए प्रोफेसर सफवी की सेवाएं अविस्मरणीय हैं. भारत के राजदूत ने इस पुरस्कार से सम्मानित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की . इस कार्यक्रम में डॉ. रजा नासिरी, डॉ. करीम नजफी बरजिगर, डॉ. अली रब्बानी, डॉ. अली देहगाही, डॉ. रजा मुस्तफवी, डॉ. तौफीक सुभानी आदि भी मौजूद रहे.

प्रोफेसर सफवी भारतीय दूतावास के सहयोग से फारसी भाषा और साहित्य पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए ईरान गई थीं. इससे पहले भी प्रोफेसर सफवी को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. जिनमें भारत का राष्ट्रपति पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, ईरान सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, सादी पुरस्कार, माकिश पुरस्कार आदि शामिल हैं. फारसी अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रोफेसर मुहम्मद उस्मान गनी ने प्रो. सफवी को पुरस्कार मिलने पर खुशी व्यक्त की और उन्हें यह पुरस्कार मिलने पर बधाई दी है.


मुगल शासन के समय प्रोफेसर सफवी के वंशज आये थे भारत

आजरमी अखिल भारतीय फारसी शिक्षक संघ की अध्यक्ष है. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ही पीएचडी किया और यहीं पर प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया. आजरमी फारसी, अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी बोलती है. आजरमी लखनऊ के नवाबों के परिवार से हैं और उनका परिवार ईरान के सफवीद राजवंश से है. आजरमी के परदादा शाह रहमतुल्ला सफवी 1737 में भारतीय मुगल राजा मोहम्मद शाह के शासनकाल में भारत आए थे और फिर यही बस गए. सफवी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में फारसी, अंग्रेजी और उर्दू में डेढ़ सौ से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं.

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