एएमयू से पढ़े छात्रों ने निभाई चंद्रयान मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका, जानें, अपने शहर के वैज्ञानिकों का ‘ कमाल ‘

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग कार्यक्रम आसान नहीं था,लैंडर की सही पोजीशन पर पहुंचाने में अल्टीमेटर का बड़ा योगदान होता है. यह काम अलीगढ़ की सोनाली जैन ने दो साल की मेहनत करके किया. वैज्ञानिक प्रियांशु और खुशुबू ने भी अपने वैज्ञानिक कौशल का प्रदर्शन किया.

By अनुज शर्मा | August 24, 2023 5:26 PM
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अलीगढ़: चंद्रयान 3 मिशन के सफलतापूर्ण सम्पन्न होने से देश में उत्साह की लहर छाई है. लोग खुशियों में झूम रहे हैं और बधाई दे रहे हैं. वहीं, चंद्रयान तीन मिशन के लिए रॉकेट के निर्माण से लेकर टेस्टिंग तक कई महत्वपूर्ण योगदान अलीगढ़ के लाल प्रियांशु ने दिये हैं. चंद्रयान की लैंडिंग के बाद, अलीगढ़ में खुशियों की धारा बह रही है. प्रियांशु परिवार में खुशी के माहौल में हैं. प्रियांशु चंद्रयान के लैंडर और रोवर टीम में शामिल हैं. चंद्रयान-3 की सफलता पर, उन्होंने अपने परिवार को संदेश भेजा है. वह जल्द ही अलीगढ़ लौट रहे हैं, हालांकि उन्होंने इसरो में काम करते समय उनके परिवारजनों से चंद्रयान तीन मिशन से जुड़े होने का राज छिपाया था.

शिक्षिका हैं प्रियांशु की मां सरकारी स्कूल में

प्रियांशु की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हुई थी और 2017 में वह इसरो ग्रुप में शामिल हो गए और वैज्ञानिक इंजीनियर के रूप में काम कर रहे हैं. जनकपुरी के रहने वाले डॉ. राजीव कुमार वार्ष्णेय एसवी कॉलेज में भूगोल विभाग में काम कर रहे हैं. उनके बेटे प्रियांशु इसरो में वैज्ञानिक हैं. प्रियांशु का महत्वपूर्ण भूमिका चंद्रयान-3 मिशन में है. प्रियांशु की मां, ममता गुप्ता, सरकारी स्कूल में शिक्षिका है. प्रियांशु चंद्रयान के लैंडर और रोवर टीम में शामिल हैं, और इसरो में काम करते समय उनके परिवारजनों से चंद्रयान तीन मिशन से जुड़े होने का राज छिपाया था.

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इसरो ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग जुलाई में की थी. लॉन्चिंग से पहले, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 रॉकेट के पास असेंबल किए गए थे. इस कार्य को करने के लिए कई डिवीजन और एजेंसियों ने सहयोग किया था, जिसमें अलीगढ़ के प्रियांशु भी शामिल थे. रॉकेट असेंबल का टेस्टिंग करने के साथ ही श्री हरिकोटा को भेजा गया था. चंद्रयान 3 की सफलतापूर्ण लैंडिंग से लोगों में खुशी है. प्रियांशु के दादा, प्रो. जीएल वार्ष्णेय, प्रोफेसर रहे हैं. उनके भाई राहुल इंजीनियर है और उनकी बहन ने बीडीएस किया है. जबकि पत्नी वैशाली एक इंजीनियर है, जो कंपनी में काम करती है. प्रियांशु ने एक साल पहले शादी की थी और अब वह बंगलुरू में रहते हैं. चंद्रयान मिशन में शामिल होने पर, परिवार गौरवमय महसूस कर रहा है. प्रियांशु की पढ़ाई एएमयू से हुई थी, जहां से उन्होंने बीटेक और इलेक्ट्रॉनिक्स में एमटेक की डिग्री प्राप्त की.

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चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग कार्यक्रम आसान नहीं था, क्योंकि लैंडर की सही पोजीशन पर पहुंचाने में अल्टीमेटर का बड़ा योगदान होता है. यह काम अलीगढ़ की सोनाली जैन ने वैज्ञानिकों की टीम के साथ दो साल की मेहनत करके किया. सोनाली इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में वैज्ञानिक एसोसिएट पद पर काम कर रही हैं. वे स्पेस के लैंडिंग प्रोसेसिंग में सहायक हैं और हेजर्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा-सेंसर का निर्माण भी किया है. सोनाली का महत्वपूर्ण योगदान चंद्रयान 3 मिशन में है. इस लेख में सोनाली जैन के सहित अन्य भी व्यक्तियों के योगदान का वर्णन है.”

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