An Action Hero Movie Review: एंटरटेनिंग है यह बदले की कहानी, आयुष्मान खुराना की मूवी का पढ़ें पूरा रिव्यू
An Action Hero Movie Review: फिल्म एक एक्शन हीरो फुल ऑन एंटरटेनिंग है. यह मसाला ट्विस्ट एंड टर्न वाली कहानी, आयुष्मान और जयदीप अहलावत के अभिनय और दिलचस्प संवाद की वजह से मनोरंजन करने में कामयाब रहती है.
फ़िल्म- एन एक्शन हीरो
निर्माता -आनंद एल राय
निर्देशक -अनिरुद्ध
कलाकार-आयुष्मान खुराना, जयदीप अहलावत,हर्ष छाया, जितेंद्र और अन्य
प्लेटफार्म -सिनेमाघर
रेटिंग -तीन
अभिनेता आयुष्मान खुराना की इमेज अब तक ऐसे एक्टर की रही है, जो अपनी फिल्मों से खास मैसेज दर्शकों को देते आए है, लेकिन बीते कुछ सालों से टिकट खिड़की पर फिल्मों के प्रदर्शन ने फिल्मों के प्रति उनके चुनाव में बदलाव ला दिया है. वे अब मजेदार एंटरटेनमेंट फिल्में करना चाहते है. जिसमें कोई मैसेज भले ही आधा अधूरा सा भी ना हो, लेकिन एंटरटेनमेंट पूरा हो और उनकी इस कसौटी पर उनकी फिल्म एन एक्शन हीरो खरी उतरती है. ज्यादा दिमाग पर जोर नहीं डालें तो यह मसाला ट्विस्ट एंड टर्न वाली कहानी, आयुष्मान और जयदीप अहलावत के अभिनय और दिलचस्प संवाद की वजह से मनोरंजन करने में कामयाब रहती है.
एक्शन, कॉमेडी और थ्रिलर से भरी है यह बदले की कहानी
फिल्म की कहानी बॉलीवुड के एक्शन हीरो मानव (आयुष्मान खुराना) की है. जो बहुत ही पॉपुलर है. जिसे यूथ का आइकॉन माना जाता है,लेकिन हरियाणा में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान, उसके हाथों दुर्घटनावश वहां का एक दबंग विक्की मारा जाता है. मानव को देश छोड़कर लंदन भागना पड़ता है. भारत में मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है. जो उसे मानव से दानव साबित करने में जुट जाता है. दिक्कतें सिर्फ यही नहीं है. विक्की का सुपर दबंग भाई भूरा (जयदीप अहलावत ) बदला लेने के लिए मानव के पीछे -पीछे लंदन जा पहुंचता है. क्या वह अपने बदले को पूरा कर पायेगा या परदे का एक्शन हीरो असल ज़िन्दगी में भी एक्शन हीरो साबित होगा. इस बदले की कहानी को जिस ट्विस्ट एंड टर्न से जोड़ा गया है. वह इस फिल्म को दिलचस्प बनाता है. पूरी फिल्म का ट्रीटमेंट एक्शन, कॉमेडी और रोमांच के ट्रीटमेंट के साथ किया गया है. जो स्क्रीनप्ले की कुछ खामियों क़े बावजूद फिल्म को दिलचस्प बनाए रखता है. फिल्म में एक्टर्स की ज़िन्दगी में आम आदमी और मीडिया की दखलअंदाजी को बखूबी दिखाया गया है.
यहां रह गयी है कमियां
फिल्म की कहानी मजेदार है, लेकिन कई बार अविश्वसनीय भी मामला लगता है. एक्टर को थोड़ा ज़्यादा ही दूध का धुला बता दिया गया है खासकर जब वह अपने ड्राइवर को उसके बदले अपराश स्वीकार करने को मना करता है.हरियाणा पुलिस से ज्यादा कमजोर लंदन की पुलिस लगती है. मानव सभी मुश्किलों से बचता निकल जाता है. जयदीप अहलावत लंदन में लोगों को गाजर मूली की तरह काटता मतलब मारता जा रहा है, लेकिन उससे तो लंदन की पुलिस पूरी तरह अनजान है. फिल्ममें आतंकी का भी एंगल थोड़ा अटपटा सा लगता है. फिल्म की इस सिनेमेटिक लिबर्टीज के साथ- साथ थोड़ी खामी एडिटिंग में भी रह गयी है. कुछ दृश्यों का दोहराव हुआ है.
इन पहलुओं में है खूबियां
फिल्म के स्क्रीनप्ले की खामियों को फिल्म के संवाद ने बखूबी संभाला. फिल्म के संवाद बहुत अच्छे बन पड़े है. जयदीप और आयुष्मान क़े बीच संवाद हो या मीडिया ट्रायल वाले ये फिल्म को इंटरटेनिंग बनाते है. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी की भी तारीफ करनी होगी. फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो दम मारो दम,नशा तेरा नशा गाने को रिक्रिएट किया गया है. जो आजकल हर दूसरी फिल्म में होता है. फिल्म के बाकी गाने रैप में है.जो किरदार के मूड और हालात दोनों को बखूबी सामने ले आते है और कहानी को रफ्तार भी देते हैं.
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अभिनय में जमा है रंग
अभिनय की बात करें तो यह फिल्म आयुष्मान खुराना को बिल्कुल ही अलग ढंग से पेश करती है. वे पहली बार फिल्म में एक्शन करते दिखें है, किरदार के लिए उनकी मेहनत दिखती है. जयदीप अहलावत इस बार भी उम्दा रहे है. अपनी बॉडी लैंग्वेज और संवाद से उन्होने अपने किरदार में एक अलग ही छाप छोड़ी है. पुलिस के किरदार में नजर आए एक्टर जीतेन्द्र हुडा की विशेष तारीफ करनी होगी. फिल्म के फर्स्ट हाफ में उनका कॉमिक अंदाज फिल्म में एक अलग ही रंग भरता है. बाकी के कलाकारों को फिल्म में ज़्यादा कुछ करने को नहीं था.
देखें या ना देखें
यह एक दिलचस्प बदले की कहानी है.जो शुरू से अंत तक आपको फिल्म से ना सिर्फ बांधे रखती है बल्कि मनोरंजन भी करती है.