Anant Chaturdashi 2022: 31 अगस्त से शुरू हुआ गणेश उत्सव का महापर्व आज 9 सितंबर को अनंत चतुर्दशी वाले दिन समाप्त हो रहा है. इसी दिन गणेश विसर्जन किया है. अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जा रहा है.
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक चतुर्दशी तिथि 8 सितंबर को सुबह 9.02 से शुरू हो रही है और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे तक रहेगी. वहीं शुभ मुहूर्त 9 सितंबर 2022 को सुबह 06.24 बजे से शाम 06:08 तक रहेगा. इस दौरान आप पूजा कर सकते हैं.
मान्यता के अनुसार अनंत पूजन से हर विपत्ति यानी संकट दूर होती है. अनंत चतुर्दशी के पूजन से सभी प्रकार के भय, परेशानियां, संकट और अभाव दूर हो जाते हैं.
यदि आप अनायास ही मुसीबतों में पड़ जाते हैं और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू सत्यनारायण भगवान के कलश पर चढ़ा कर पूजा के उपरांत किसी चौराहे पर रख दें. ऐसा करने से मुसीबतें आपसे दूर रहेंगी.
अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करें. साथ ही कलश पर जायफल चढ़ाएं. पूजा के बाद 14 जायफल बहते हुए जल में प्रवाहित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से पुराना से पुराना विवाद खत्म हो जाएगा.
पुराने विवादों से मुक्ति पाने के लिए अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान के कलश पर चढ़े 14 जायफल बहते हुए जल में प्रवाहित करें.
यदि आप या आपकेपरिवार का कोई सदस्य किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ाएं और फिर इसे किसी गाय को खिला दें. ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करने से पुराना से पुराना रोग जल्दी ही ठीक होगा.
अगर घर का कोई सदस्य पुरानी असाध्य बीमारी से पीड़ित है तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से लगाकर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ाएं और फिर इसे गाय को खिला दें.
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है. यह पूजा दोपहर के समय की जाती है. इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-
1. इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें.
2. कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें या आप चाहें तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं.
3. इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए. इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें.
4. अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें.
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव.
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते..
5. पुरुष अनंत सूत्र को दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे. इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.